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* प्रकाशकीय *-. ___ धर्म एवं दर्शन की दृष्टि से भारत का इतिहास अत्यन्त गौरवशाली रहा है। धार जिला भी अपनी प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों के कारण न केवल भारत में अपितु सम्पूर्ण विश्व में विख्यात है। देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के धार जिला मुख्यालय से 46 किलोमीटर एवं सरदारपुर तहसील से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित भोपावर तीर्थ भी हमारे गौरवशाली अतीत का एक स्वर्णिम अध्याय है। भोपावर तीर्थ स्थल पर शान्तिनाथ प्रभु की काउसठा मुद्रा मे 12 फीट उँची श्यामवर्णी, लगभग 87 हजार वर्ष प्राचीन, कांतियुक्त एवं भव्य प्रतिमा स्थित है। यह प्रतिमा भगवान नेमिनाथजी के समय की है, यही कारण है कि भोपावर तीर्थ इस भारतवर्ष का एक अद्वितीय तीर्थ स्थल है।
विगत काल में यह तीर्थ राजगढ़ निवासी श्री प्रेमचन्दजी की व्यवस्था में रहा तत्पश्चात उनके पुत्र श्रीमान बागमलजी तथा उनके पुत्र मगनलालजी की व्यवस्था में रहा । इनके स्वर्गवास के पश्चात इनके अनुज श्री रतनलालजी ने यहाँकी व्यवस्थाका कार्यभार संभाला तथा इसतीर्थकीसेवा करतेहुएउनका स्वर्गवासहुआ | उनकेस्वर्गवास के 30 वर्ष पश्चात शान्तिनाथ प्रभु की दिव्य प्रेरणा एवं महान तपस्वी पू.आ.श्री नवरत्नसागर सूरीश्वरजी म.सा. के आशीर्वाद से उनके ही परिवार के श्री सुरेन्द्रकुमार राजमलजी जैन ने इस तीर्थ की व्यवस्था का उचरखायित्व अत्यंत सुन्दर तरीके से संभाला।
राजगढ़ नगर के ओजस्वी कवि, गीतकारएवं लेखक यशवंत चौहान ने इस पावन तीर्थ के इतिहास को नये संदर्भो में लिखा है। इस इतिहास में न केवल तीर्थ का गौरवशाली अतीत है वरन तीर्थ के जीर्णोद्धार के संदर्भ में नवीन जानकारी, भगवान श्री शान्तिनाथजी का संक्षिप्त जीवन वृत, तीर्थ की सचित्र जानकारी तथा भविष्य के लिए स्वर्णिम योजनाओं का भी दिग्दर्शन है। श्री यशवंत चौहान ने अथक परिश्रम से तथा नवीन अन्वेषण कर यह कृति तैयार की है हम उनके हृदय से आभारी हैं। .
- - प्रकाशक मण्डल
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