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________________ कला की दृष्टि से वह अति प्राचीन कहानी संग्रह है। इतिहास की दृष्टि से जातकों की अतीत-कथात्रों का ऐतिहासिक मूल्य है। जातकों का असली नाम जातकत्थवएणना है । वह जातककथा के सिंहली अनुवाद का फिर से किया हुअा पालि अनुवाद है। आचार्य बुद्धघोष ने यह अनुवाद प्रस्तुत किया है। मूल जातककथा में दो वस्तुएँ थीं, एक गाथाएँ और दूसरी उनकी अटकथा । प्रत्येक जातक की कहानी में वर्णन है कि बुद्ध के जीवन में अमुक अवसर पर इस प्रकार अमुक घटना घटी, जिससे उन्हें अपने पूर्व जोवन की वैसी ही बात याद आ गयी। फिर बुद्ध एक पुरानी कहानी सुनाते हैं और वही असल जातक-अतीत कथा होती है। उसका कुछ अंश पालियों या गाथाओं में और बाको गद्य में होता है, वह गद्य भी अट्ठकथा ही है। प्राचीन भारतीय जीवन के प्रत्येक पहलू पर जातकों से अच्छा प्रकाश पड़ता है। जातकों का हिन्दी अनुवाह हो चुका है ; पर अभी तक उसका ऐतिहासिक अध्ययन नहीं हुआ है। , बुद्ध के उपदेशों का दार्शनिक ग्रन्थ अभिधम्म-पिटक है । पर ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अभिधम्म के अलावा और कहीं बुद्ध के धर्म का निर्देश या उपदेश नहीं है। वस्तुतः सार रूप से अभिधम्म बौद तत्व-दर्शन के अध्ययन की वस्तु है। इसीलिए उसे अभिधम्म अथवा उच्चतर धर्म कहा गया है। बौद्ध अनुश्रुति के अनुसार बुद्ध ने अभिधम्म का उपदेश सर्व प्रथम देवलोक में अपनी माता महामाया और देवताओं के लिये किया। बाद में उसी को उन्होंने अपने बुद्धिमान् शिष्य धर्म सेनापति सारिपुत्र को सुनाया। सारिपुत्र ने बुद्ध से सीखकर उसो अभिधम्म को ५०० भितुत्रों को सिखाया। इस अनुश्रुति से स्पष्ट है कि बुद्ध के चुने हुए कुछ शिष्य हो अभिधम्म को समझने में समर्थ थे। अर्थात् अभिवम्म पिटक बौद्ध तत्ववाद को समझने के लिये बुद्ध के उपदेशों का सार है । परम्परा से प्राप्त अभिवम्म-पिटक के सात प्रन्थ इस क्रम ते हैं-- १. धम्म संगणि, २. विभंग, ३. कमावत्थु, ४. पुग्गजपचत्ति,
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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