SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २६ ) दोनों को अपने उद्देश्य का भलीभाँति ज्ञान था, दोनों अपने उद्देश्य के लिए मरना जानते थे । इसलिए इतिहास बताता है कि वे सफल हुए। ___ राज्य पर अधिकार करने के लिए सेना की जरूरत होती है और सेना एकत्र करने के लिए धन की। कुछ धन एकत्र कर दोनों ने विन्ध्याटवी के किसी भाग से मगध साम्राज्य को ललकारा; पर टिक न सके । हार गये। इस सम्बन्ध की एक कहानी प्रसिद्ध है। एक बार चन्द्रगुप्त और चाणक्य वेष बदलकर घूम रहे थे। वे एक गाँव में एक वृद्धा के घर टिके थे। वृद्धा अपने लड़के को रोटी बना कर खिला रही थी। लड़का जरा शौकीन था। रोटी के किनारों को छोड़ कर बीच का हिस्सा खाता जा रहा था । इस पर वृद्धा ने कहा-'तू भी चन्द्रगुप्त जैसा मूर्ख है, जिसने राज लेने का प्रयत्न किया।' लड़के ने कहा-'माँ, चन्द्रगुप्त ने राज्य लेने में मूर्खता क्या की और मैं क्या कर रहा हूँ।' इस पर माता ने कहा-'चन्द्रगुप्त सम्राट बनने चला था; पर सीमा प्रदेश को दखल किये बिना, राज्य के मध्य भाग पर हमला करना शुरू कर दिया। और दोनों ओर के दबाव में पड़कर पिस गया—हार गया। और तू किनारे से रोटी न खाकर बीच का खाता है। इससे रोटी के भाप से हाथ जलेगा।' चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने इसे सुना, उनकी आँखें खुली। दोनों भारत के पश्चिमी भाग में चले गये, जो मगध साम्राज्य के बाहर था, जहाँ को स्थिति से चाणक्य पूर्ण परिचित था-जिस प्रदेश का वह रहने वाला था। जहाँ भाड़े के सैनिक आसानी से मिल सकते थे। जहाँ सिकन्दर की सेना उथल-पुथल मचाये थी। वहीं चन्द्रगुप्त सिकन्दर से मिला । उसे मगध की ओर बढ़ने के लिये ललकारा भी-पर अपने स्वाभिमान को रख कर । बाद में उसी प्रदेश में रहकर चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने सिकन्दर की सेना के पीछे विद्रोह करवाना शुरू किया। इससे सिकन्दर की उलझनें बढ़ गयीं। वह परेशान हुअा। उसकी सेना थक गयी थी।
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy