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प्रकाशकीय
श्री 'विनोद' जी की प्रस्तुत पुस्तिका में मगध का प्राचीन इतिहास सांस्कृतिक दृष्टिकोण से लिखा गया है । वाचक देखेंगे कि प्राचीन काल में मगधदेश श्रमण धमों के विकास का केन्द्र रहा है। यह भी देखेंगे कि वहाँ श्रमण और ब्राह्मणों का संघर्ष और समन्वय किस प्रकार हुआ है। लेखक ने प्राचीन मगध की संस्कृति का जो संक्षिप्त चित्र खींचा है वह किसी खास धर्म के पक्षपात से नहीं किन्तु एक ऐतिहासिक की तटस्थ दृष्टि से । मैं श्री 'विनोद' जी का आभारी हूँ कि उन्होंने अपनी पुस्तिका प्रकाशनार्थ मंडल को दी।
दलसुख मालवणिया . मंत्री जैन संस्कृति संशोधन मंडल
बनारस