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________________ ( २० ) अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य को बहुत बढ़ा दिया था। उसने वजि संक को नष्ट भी कर दिया था; पर फिर भी वजि संघ की जातियाँ जीवित थीं। लिच्छवि जाति बहुत ही तेजोदृप्त थी। उसने पुनः करवट लेना शुरू कर दिया था। इसीलिए लिच्छवि जाति पर नजर रखने के लिये अजातशत्रु ने उनकी सीमा के पास गंगा और सोन के कोण में, जहाँ पाटल वृक्षों की संख्या अधिक थी, उसी पाटलिग्राम में एक किला भी बनवाया था । अब, जब उदयि के काल में साम्राज्य की आवश्यकताएँ बढ़ीं, तो उदयि ने उसी दुर्ग के पास पाटलि ग्राम में एक बहुत बड़ा नगर बसा दिया। इस नगर का नाम पाटलिपुत्र पड़ा । उदयि ने अपनी राजधानी राजगृह से हटाकर इसी पाटलिपुत्र में स्थापित की । उदयि पर जैन धर्म का काफी प्रभाव था। उसने पाटलिपुत्र में जैन मन्दिर भी बनवाया था ; पर उदयि के काल में मगध राजनीतिक षड्यन्त्रों का केन्द्र बन गया था। जनता में भी इन पितृघाती राजाओं के प्रति घृणा का भाव छा रहा था। ब्राह्मण धर्म के प्रति उपेक्षा के भाव के कारण भी मगध राज्य बदनाम हो रहा था। अतः षड्यन्त्रों द्वारा ही उदयि का भी अन्त हा। इस प्रकार नाग जाति के हर्यक वंश का मगध के सिंहासन से अन्त हो गया। शिशुनाग वंश . . हर्यक वंश के अन्त के बाद मगध में शिशुनाग का उदय हुअा। कहा जाता है कि हर्यक वंश के ढीले और विलासी शासन से तंग आकर मगध की प्रजा ने काशी प्रदेश के शासक शिशुनाग को, जो वहाँ मगध साम्राज्य का प्रतिनिधि था, बुलाकर मगध की गद्दी पर बैठाया। पर इसका सीधा और स्पष्ट अर्थ यह है कि शिशुनाग को मगध के षड्यन्त्र का पता था, वह कुशल राजनीतिज्ञ था, उसने कुशलतापूर्वक षड्यन्त्रों का सूत्र अपने हाथ में कर लिया और फिर इस खूबी से ठसने मगध साम्राज्य पर अधिकार कर लिया कि कहीं कुछ विरोध भी न हो सका।
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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