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कैसे अनुभव हुए ? लगता है कि जीवन का अनुपम लाभ मिला ।
बीस वर्ष पूर्व आधोई संघ की तरफ से महाराष्ट्र भुवन में चातुर्मास का लाभ मिला था, तब ७०० आराधक ही थे, परन्तु इस वर्ष साध्वीजी भगवंत ४२९ तथा १६०० आराधक हैं, विशेष लाभ मिला है। संयुक्त रूप में दोनों समाजों को यह लाभ मिला है । पूज्यश्री की कृपा से दोनों समाज निकट आये हैं जो कम सफलता नहीं है ।
__ पूज्यश्री की मुझ पर सतत कृपावृष्टि होती रही है । प्रतिदिन रात्रि में पूज्यश्रीने हितशिक्षा दी है ।
नूतन पूज्य आचार्यश्री : हमें भी नहीं देते ।
खेतशीभाई : कभी कभी ऐसा लगता है कि ज्येष्ठ तुल्य पूज्यश्री बालक तुल्य हमारे साथ वार्तालाप करते हैं ।
परमात्मा तुल्य पूज्यश्री की यह अनुपम करुणा है। श्री संघ पर पूज्यश्री की जो असीम कृपा-वृष्टि हुई उसकी कोई जोड़ नहीं है । आराधकों का ८०० का ही अनुमान था, फिर भी १५६४ की संख्या हो गई । अनेक व्यक्तियों को निराश भी करने पड़े
अनेक वृद्ध महिलाओं के आशीर्वाद मिले हैं ।
जन्म होने के सात दिन बाद पिता खो दिये । २३ वर्ष पूर्व माता खो दी । आज माता-पिता नहीं है परन्तु आप सबमें मैं माता-पिता के दर्शन करता हूं । (अश्रु) हमारा मस्तिष्क वश में न रहा हो और मुंह में से कटु शब्द निकले हों तो क्षमा करें।
दूसरा तो हम क्या कर सकते हैं ? दर्शन, पूजा, प्रतिक्रमण, पच्चक्खाण रहित हम जैसों के लिए ऐसी सेवा का अवसर मिले कहां से ? हम जैसों को दूसरा आलम्बन भी क्या है ? जो कुछ भी मिला है वह आपकी ममता से मिला है ।
धन देने वाले अनेक मिल जाते हैं, परन्तु उत्तम आराधना करने वाले बहुत कम होते हैं । इनमें दस प्रतिशत उत्तम आराधक होते हैं और उनमें से एक प्रतिशत फल मिला तो भी बहुत कहा जायेगा ।
कहे कलापूर्णसूरि - ३00000000000000mmom ३०१)