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शंखेश्वर पार्श्वनाथ का जाप कराने वाले पूज्य नवरत्नसागरसूरिजी शंखेश्वर पार्श्वनाथ के उत्कृष्ट भक्त हैं । उनके मुंह से प्रभु के नाम का श्रवण मिले कहां से ?
(सामुदायिक जाप पुनः प्रारम्भ) पूज्य मुनिश्री धुरन्धरविजयजी :
जब तक पूज्य कलापूर्णसूरिजी बैठे हैं, तब तक किसी को उठना नहीं है। पूज्य साध्वीजियों को भी आज्ञा-पालन करना है।
__ यह मन्त्र-जाप केवल सुनना नहीं है, बोलना भी है। बोलने से ही अपने मुंह आदि पवित्र बनेंगे ।
सभी बोलें । पूज्य आचार्यश्री की शिकायत है कि अभी तक आनी चाहिये, उतनी आवाज आ नहीं रही है ।
(जाप के मध्य में) पूज्य नवरत्नसागरसूरिजी : एक प्रसंग बताऊं ।
एक कुम्हार भगवान का पूजारी बन गया । उसे कुछ आता नहीं था, फिर भी आदत से सुन्दर आंगी करना सीख गया । नाम उसका 'रामजी' था, शंखेश्वर का पूजारी था । वह नित्य मेरे पास आता । उसने एक बार कहा, 'पत्नी के गले में गांठे हुई हैं । महिने में एक हजार रूपयों की दवायें आती हैं । इतने रूपये लाने कहां से? वेतन तो सातसौ रूपये ही है। मैंने शंखेश्वर पार्श्वनाथजी को पत्र लिखा - 'प्रभु ! आप पर आधार है। आपको जो करना हो वह करें ।'
दूसरे ही दिन गांठें मिट गई ।
आज भी वह रामजी पूजारी, उसकी पत्नी, बच्चे आदि सब विद्यमान हैं । इन प्रत्यक्ष प्रभावी पार्श्वनाथ भगवान के जाप में कोई कसर न रखें ।
पूज्य मुनिश्री धुरन्धरविजयजी : कतिपय सूचनाएं -
अधिकतम लोगों की यह मान्यता है कि 'तलहटी पर अष्टप्रकारी पूजा करनी ही चाहिये ।' जब तक निर्माल्य न उतरे तब तक पूजा नहीं की जा सकती । आजकल दूध कैसा आता है ? आप जानते ही हैं । पूजारी गाय के दूध से पक्षाल कर ले, वह ठीक है । बाकी आप सब कुंए का पानी (भाता खाता में बावडी है) (१५०wwwwwwwwwwwwwwwww कहे कलापूर्णसूरि - ३)