________________
___ वि. संवत २०५६ की फाल्गुन शुक्ला । - ५ से 'चंदा विज्झय पयन्ना' पर प्रारम्भ हुई वाचना श्रा. कृष्णा - २ वि. संवत् २०५६, पालीताणा में पूर्ण हो चुकी है । अतः तब तक की वाचना इस ग्रन्थ में संगृहीत हैं ।
पूज्यश्री के आशय के विपरीत कुछ भी लिखा गया हो तो उसके लिए अन्तर से मिच्छामि दुक्कडं ।
- गणि मुक्तिचन्द्रविजय ( अभी पंन्यासजी) - गणि मुनिचन्द्रविजय ( अभी पंन्यासजी)
खिमईबेन जैन धर्मशाला
कागण तलेटी रोड़, पालीताना-३६४ २७०. (जिला भावनगर, गुजरात) श्रावण, कृष्णा -३, बुधवार, दि. १८-७-२०००