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वांकी तीर्थ, पदवी प्रसंग, वि.सं. २०५६, महा सु. ६
पूज्य गुरुदेव एवं पिताश्री
की चिरविदाय से विषाद -मग्न वर्तमान गच्छाधिपति पूज्य आचार्य श्री विजयकलाप्रभसूरीश्वरजी
म.सा. एवं पूज्य पं. श्री कल्पतरूविजयजी गणिवर (केशवणा (राज.) माघ शु.५, वि.सं. २०५८
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अब यह दृश्य कहाँ देखने मिलेगा ? (वि.सं २०३८)