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EPIGRAPHIA INDICA
(VOL. XXXI 28 सुगतिदुर्गती [*] को नाम स्वर्गमुत्सृज्य नरकं प्रतिप98 बते ॥२*] न्या(व्या)सगि(गी)ता (तां)श्चात्र श्लोकानुदाहरन्ति ॥ अग्नेरपत्यं 27 प्रथमं सुवर्ण भूर्वेष्णवी सूर्यसुताश्च गावः [*]
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