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EPICRAPHIA INDICA.
[VoL. Xxv.
58 विसर्परोगजगतीनाथारिदारिद्यभूर्भीतर्भक्तजनस्य संमदपदं रामति नामस्मृतः । गव्यू.
fauv-u-uuu-.-- - - -- - - - -- ---- - -॥ देव त्वां करुणा
U-UUU - HARTA co to SMARTTA UUU -- 59 क्षोभुजा तेजसा(साम्) । कुर्बाणे जगदिष्टष्टिममृतासारां भवोन्माथिनी --प्रार्थितट
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--- ------ ~-र्णिकासन -
-- - सिंदूराचलमौलिकल्पि ---- 60 प्रतिष्ठं विभं कुभोद्भुतलनावरण भगवबंदे मुदे नित्यशः ॥ देव त्वां पुरुष yaraqaf --u----UU-U-UUU--
८-0"] - - vu-u-uuu --- - ---------- भगवते भक्त्या नमोऽस्तु प्रभो ॥
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61 रामदेवं य स्तोति मयः पवित्रधौः । सिंदूराचलमौलिस्थं भजते तस्य य . ॥ काशीप्रभू ---~
~-~ ~ [*] ~ ~~ --Uvuvuu-uu [*] ---UU-u-u --------- कल्पांतावधिनिर्मलाषि(खिलजला वृक्षा
62 लः । आस्ते वा(बा)लसमुद्र एष विलमद्देवालयालौमिल -- - - - जलो जले
क्षणकृतां देवा --- -[*] . . . . . . . . . . . . . . .
धन्यः ॥ समभ्यर्य नरो भक्त्या न yyy63 । दुर्लभां लभते कां कां न हि सिद्धिं विशुद्धधीः ॥ --
- वराणि तानि देवांशु -- - -- [*] - - - - -
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- - [0] -- भ गरौय: श्रीराघवोऽमस्त कृतार्थमुच्चैः ॥
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1 Metre: Anushfubh. * Metre : Sardalavikridita. . About 40 aksharas are gone here. • Metre : Indravajra.
Lines 64-75 are too much mutilated to be transcribed here. Lines 69 and 71 mention one Maidēva and line TO has पाडय सत्वरमुवाच वाः स . . . . . . मैथिलीनाथस्तष्थति येन मे कुन . . which shows that the inscription was intended to record something done by Maidēva by the order of Raghava-perhaps some repairs to the temple of Lakshmana.