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THE INDIAN ANTIQUARY
[JULY, 1932
४. परमाराणां वंशास्त्यनलकुंडतः ॥ ३ तत्रानकम [ हीपाल ]----
धुरानो महाराज : ५. समभन्मरुमंडले ॥ ४ निरर्गल मिलद्वैरि---
--प्रतापोज्वलदूस - ६. लः ।। ५ शंभुवदूरिभूमीशाभ्यर्चनीयो [भ]--- -
--- ---सूः॥ ६ रणे ७. खहरण[ त्का र रावणोल्वा वै [भव:] । -
---[॥ . ] सिंधुराजधरा - ८. धारधरणीधरधामवान् । [मा] -----
[॥८] [देवरा ] जोभवतस्मात् ९. सुरराजो हराया। देवरानेश्वर --------
---[॥९] ---- -----[म] पहाय महीमि१०. मां मन्ये कल्पद्रुमः प्रायादरश्च [क]------
- - -[॥१.] - - - - - - - - - - - - - -
--- दारणात् । श्रीम - ११. दुर्लभराजोपि राजेंद्रो रंजितो -- [॥११]-----
-- - ---है। येन दुार - १२. वीर्येण भूषितं मरुमंडलं ॥ १२ ॥ [म्माकरो व (ब) भू]--
----[कृष्ण ] रामो महा - १३. शब्द विभूषितः ॥ १३ तत्पुत्रः सोछ राजाश्य:--
---- ----[कल्प-] १४. बुमोभवत् ।। १४ तस्मादुदयराजाख्यो महाराज ---
---[ नी] कपदाधि१५. कः॥ १५ पाचौडगौडकर्णाटमालवोत्तर पश्चिमं । ---
- --गज ॥ १६ १६. प्रा (श्री) सिंधुरानभूपालापितृपत्रक्रमात्पुन : तस्मादुदयरा ---
॥१. उत्कीर्ण१७. मपि योराज्यमुह भुजार्यत : । जयसिंहमहीपाला ----- -- [॥१०]
---- टम (1)--- वर्षे १८. विक्रमभूपतेः । प्रसादाज्जयसिंहस्य सिदराजस्य भूभुन : [॥ १९] ---- .- जेन सिंधु
रामपुरोद्भवं । भूयो निर्व्याज सौ (शी ) येण राज्यमेतत्सममृतं ॥ २० पुना [ दशसंख्येषु पं] चाधिकशतेष्ट
(ध्व) ल । कु२०. मारपालभूपालात् सप्रतिष्ठमिदं कृतं ॥ २१ [कि] रा [८] कृपमात्मीयं ----- समन्वितं ।
निजेन क्ष (क्षा)त्र
धर्मेण पालयामास यश्चिरं ॥ २२ पटाद [ शाधिके ] चास्मिन शतद्वादशके ऽश्विने । प्रतिपद्गुरुसयो - २२. गे साई [या ] मे गते दि[ना ] त् ॥ २३ दंड सप्तदशशतान्यश्वानां नृपनज्जकात् । सह पंचनखा-: २३. भेन मयूरादिमिरष्टभिः ॥ २४ तणुकोई नवसरो दुग्गौं सोमेश्वरोप्रहीत् । उच्चां [ग] वर [ हा ] - २४. साव्या चके वैवात्मसादा (८) सौ ॥ २५५ (ब) हुश: [ सेव ] कीकृत्य चौलुक्यनगतीपतेः। पुनः संस्था
पया - २५. मास तेष देशेषु मज्जकं ॥ २६ प्रशस्तिमकरोदेता नरसिंहो नपाज्ञया । लेखकोत्र य [शो]
देवः सूत्रवारोस्तु (.) नसोधरः ॥ २७ विक्रम [संब] त् १२१८ प (घा) श्विन शुदि १ गुरौ ॥ मंगलं म [ हाश्री] : ।।