SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 150
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 136 THE INDIAN ANTIQUARY [JULY, 1932 ४. परमाराणां वंशास्त्यनलकुंडतः ॥ ३ तत्रानकम [ हीपाल ]---- धुरानो महाराज : ५. समभन्मरुमंडले ॥ ४ निरर्गल मिलद्वैरि--- --प्रतापोज्वलदूस - ६. लः ।। ५ शंभुवदूरिभूमीशाभ्यर्चनीयो [भ]--- - --- ---सूः॥ ६ रणे ७. खहरण[ त्का र रावणोल्वा वै [भव:] । - ---[॥ . ] सिंधुराजधरा - ८. धारधरणीधरधामवान् । [मा] ----- [॥८] [देवरा ] जोभवतस्मात् ९. सुरराजो हराया। देवरानेश्वर -------- ---[॥९] ---- -----[म] पहाय महीमि१०. मां मन्ये कल्पद्रुमः प्रायादरश्च [क]------ - - -[॥१.] - - - - - - - - - - - - - - --- दारणात् । श्रीम - ११. दुर्लभराजोपि राजेंद्रो रंजितो -- [॥११]----- -- - ---है। येन दुार - १२. वीर्येण भूषितं मरुमंडलं ॥ १२ ॥ [म्माकरो व (ब) भू]-- ----[कृष्ण ] रामो महा - १३. शब्द विभूषितः ॥ १३ तत्पुत्रः सोछ राजाश्य:-- ---- ----[कल्प-] १४. बुमोभवत् ।। १४ तस्मादुदयराजाख्यो महाराज --- ---[ नी] कपदाधि१५. कः॥ १५ पाचौडगौडकर्णाटमालवोत्तर पश्चिमं । --- - --गज ॥ १६ १६. प्रा (श्री) सिंधुरानभूपालापितृपत्रक्रमात्पुन : तस्मादुदयरा --- ॥१. उत्कीर्ण१७. मपि योराज्यमुह भुजार्यत : । जयसिंहमहीपाला ----- -- [॥१०] ---- टम (1)--- वर्षे १८. विक्रमभूपतेः । प्रसादाज्जयसिंहस्य सिदराजस्य भूभुन : [॥ १९] ---- .- जेन सिंधु रामपुरोद्भवं । भूयो निर्व्याज सौ (शी ) येण राज्यमेतत्सममृतं ॥ २० पुना [ दशसंख्येषु पं] चाधिकशतेष्ट (ध्व) ल । कु२०. मारपालभूपालात् सप्रतिष्ठमिदं कृतं ॥ २१ [कि] रा [८] कृपमात्मीयं ----- समन्वितं । निजेन क्ष (क्षा)त्र धर्मेण पालयामास यश्चिरं ॥ २२ पटाद [ शाधिके ] चास्मिन शतद्वादशके ऽश्विने । प्रतिपद्गुरुसयो - २२. गे साई [या ] मे गते दि[ना ] त् ॥ २३ दंड सप्तदशशतान्यश्वानां नृपनज्जकात् । सह पंचनखा-: २३. भेन मयूरादिमिरष्टभिः ॥ २४ तणुकोई नवसरो दुग्गौं सोमेश्वरोप्रहीत् । उच्चां [ग] वर [ हा ] - २४. साव्या चके वैवात्मसादा (८) सौ ॥ २५५ (ब) हुश: [ सेव ] कीकृत्य चौलुक्यनगतीपतेः। पुनः संस्था पया - २५. मास तेष देशेषु मज्जकं ॥ २६ प्रशस्तिमकरोदेता नरसिंहो नपाज्ञया । लेखकोत्र य [शो] देवः सूत्रवारोस्तु (.) नसोधरः ॥ २७ विक्रम [संब] त् १२१८ प (घा) श्विन शुदि १ गुरौ ॥ मंगलं म [ हाश्री] : ।।
SR No.032553
Book TitleIndian Antiquary Vol 61
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRichard Carnac Temple, Charles E A W Oldham, S Krishnaswami Aiyangar, Devadatta Ramkrishna Bhandarka
PublisherSwati Publications
Publication Year1986
Total Pages428
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy