SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महाजनवंश मुक्तावली - १६५ (दोहा ) खण्ड खंडेलामें मिली, साढी बारह जात, । खण्डप्रस्थ नृपकी समय, जी म्यां दालरु भात । १ । वेटी अपनी जातमें, रोटी सामल होय, कच्ची पक्की दूधकी, भिन्न भाव नहीं कोय । २ । श्रीमाल भीनमालसें १ ओसवाल ओसियांसे २ मेड़तवाल मेड़तासें ३ जायल वाल जायलसे ४ वबेरवाल बघेरासें ५ पल्लीवाल पालीसें ६ खण्डेलवाल खंडेलासें ७ डीडू महेश्वरी डीड वाणेसें ८ पौकरा पौकरजीसें ९ टीटोड़ा टीटोड गढ़सें, १० कठड़ा खाटूसें, ११ राजपुरा राजपुरसें, १२ आधीजात बीजा बर्गी । (मध्य देश ८४ वणिक् जाति ।) गौढ़वाड़ देश पारेवा पद्मावती नगरमें वस्तुपाल तेजपाल जितनें दया धर्मी वणिक् जाती थी उन सबोंको मुल्क २ में खरच भेज इकट्ठे किये बड़ी भक्तिसें उतारा दिया भोजन पंक्ति जीमने लगी उस वक्त एक बुड्डी पोरवालकी विधवा स्त्रीने भर पंचोमें आकर कहा अहो धर्म भाइयों किसके घर जीमते होये वस्तुपाल तेजपालका नाना कौन है ये भी कुछ खबर है खबर करी तो मालुम हुआ बाप पोरवाल माता वाल विधवा दुसरे वैश्य कुलकी सबूत हुई तब जीम लिये सो १० । नहीं जीमे सो २० ये झगड़ा बहुत जगह २ फैल गया तब वस्तुपाल तेजपालने असंक्ष द्रव्य खर्च २ अपने २ पक्ष मन्तब्य गुरू आदि सबही अलग स्थापन करा उहां आये जिन्होंके नाम । श्रीमाल २ श्रीश्रीमाल ३ श्रीखण्ड ४ श्रीगुरू ५ श्रीगौड़ ६ अगरवाल ७ अजमेरा ८ अनौधिया ९ अडालिया १० अवकथवाल ११ औसवाल १२ कठाडा १२ कठनेरा १४ ककस्थन १५ कपोला १६ कांकरिया १७ खरवा १८ खड़ायता १९ खेमवाल २० खंडेलवाल २१ गंगराड़ा २२ गोहिलवाल २३ गौलवाल २४ गौगवार २५ गींदोडिया २६ चकौड २७ चतुरथ २८ चीतोडा २९ चौरंडिया ३० जायलवाल ३१ जालोरा ३२ जैसवाल ३३ जम्बूसरा ३४ टीटौडा ३५ टंटोरिया ३६ ढूंसर ३७ दसौरा ३८ धंवलकौष्टी ३९ धाकड ४० नारनगरेसा ४१ नागर ४२ नेमा ४३ नरसिंह पुरा ४४ नबांभरा ४५ नागिन्द्रा ४६ नाथचल्ला ४७ नाछेला ४८ नौटिया ४९ पल्लीवाल ५० पवार ५१ पंचम ५२ पौकरा ५३ पौरवाल
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy