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________________ १३२ ____ महाजनवंश मुक्तावली सुनार १ मेढ सुनारादि समझना, इनोंका कृत्य समयसे पलटा अब भगवानने प्रजामें ४ वर्ण स्थापन किये, उग्रकुल १ इन्होंकों दण्डपासक याने कोट कचहरी दिवान मुसद्दी कोटवाल प्रमुख राजकार्य करणा न्यायाधीस वणाया १, भोगकुल २ प्रजाके वास्ते भगवान आप जिन्होंकों गुरू करके मांना २ राजन्यकुल ३ जो भगवान इक्ष्वाकुका कुल जिसमें सूर्य यश पोतेका सूर्य वंश १ चन्द्रयश पोतेका चन्द्र वंश २ चन्द्र सूर्यके जितने कोशोंमें पर्याय वाचक नाम है वह सब नाम इन वंशवालोंका समझणा, जैसै आदित्य वंश १ तो सूर्यही का नाम है, इस तरह सोमवंश २ वो चन्द्रहीका नाम है, कुरु पुत्रसे कुरु वंश, इत्यादि सौ पुत्रोंका परिवार सन्तान राजन्यवंश कहलाया, ३ वाकी युगलिक लोक प्रजा उन्होंका काश्यप गोत्र और क्षत्रीवंश स्थापन करा जिसमें छत्तीस कर्मकर निकले, जिसके पीछे असंक्षा काल वीतणेसें उन चारोंका पर्याय वाचक नाम हो गया, उग्रकुल वाले गुप्त कहलाये, देखिये वाग्भट्ट नामका जैन गुप्त ( वणिक् ) ने वाग्भट्ट वैद्यक ग्रंथनेम निर्वाण महाकाव्य वाग्भट्टालङ्कार काब्य अनेकानेक गुप्त जातीके बनाये हुये हैं, ये वाग्भट्ट जैनधर्मी थे उनके ग्रंथही धर्मकी सबूती देता हैं, भोगकुलकों शर्मा संज्ञा हुई, राजन्य वंशीयोंको वर्मा संज्ञा हुई, इस तरह ही चारोंका पर्याय नाम धरा पीछैसें विप्र संज्ञा वेद पाठीकों, विगर संस्कार शूद्र संज्ञा, संस्कार किये पीछै द्विज संज्ञा, जब जीव अजीव पुन्य पाप इत्यादि नव तत्व जाणे, क्षमा' १ मार्दव २ आर्जव ३ निर्लोभता ४ तप ५ सत्य ६ सौच अभ्यंतर और वाह्य ७ (संजम ( इन्द्रियदमन ) और जिन पूजादिक षट् कर्म ९ इतने करनेवालोके गलेमें यज्ञोपवीत डाली गई, जिसका अपर नाम है; नोगुणी, उसको प्राकृत व्याकरणके शब्दसें, माहण भरत चक्रीने कहा था उसका संस्कृत व्याकरणसें (ब्रह्म वेत्ति स ब्राह्मणः ) याने ब्रह्म जो अविनाशी आत्माका स्वरूप जाणे, सो ब्राह्मण कहलाये, शर्मापद देव पूजकोंको मिला, वर्मा नाम धराणेवाले राजन्य वंशीयोंको क्षत्री कहने लगे, वह जो राज्य कार्य कर्ता उग्रवंशी जो गुप्त नाम धराया था वो वैश्य कहलाये, छत्तीस श्रेणी के प्रश्रेणीक क्षत्री वंशवाले जो थे वह
SR No.032488
Book TitleMahajan Vansh Muktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamlal Gani
PublisherAmar Balchandra
Publication Year1921
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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