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________________ मुनि नाम जवाहिरलाल सचमुच कोष जवाहिरलाल हो तुम विद्या के भंडार पंच महाव्रत पालने वाले ॥धन्य। करि है विनती वारम्वार स्नेही प्रेम बढ़ावो अपार हम हैं सेवक मुनि तुम्हारे चरण में शीश झुकाने वाले धन्य॥ रागप्रमाती (तर्ज- जगमें तुमहो सहायकहमारा) जैनवर संकटकाटनहार हे मुनि सुमिर नाम जन थारे, कोटिक देवलोक पगधारे हमहुँतारि जगमाहिदुखारे, कहाँलगाईघार ॥जैनवर। महिमाअमितनाथ गुणकेरी किमिकरवर्णसके मतिमोरी अषमुनि मतकर हँ मुझदेरी नावपड़ी मझधार|जैनवर॥ हमदूसर उपायनही सूझा, है कृपालु जिनवर विनदूजा सयतजि करूभाव पदपूजा, तूहीनाम अधार ॥जैनवर।। हे मुनि क्यों जन त्रासहेराना, भवसागर से पारकरोना प्रणत हुँ वारम्बार ॥ जैनवर ॥ वारहिवार प्रणाम करेही तोहिजन लखिमस्नेही। हमपरहुँ मुनि कृपाकरेही नहीदोंवे भवभार॥ जैनवर ।।
SR No.032479
Book TitleJain Me Chamakta Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharichand Manekchand Daga
PublisherKesharichand Manekchand Daga
Publication Year1927
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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