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भाव में न फंपी। ऐसा कोई सुमार्ग निकालो, जिप्तसे जाति का सुधार हो और धर्म की जय हो, महाशयो मैं कोई विद्वान नहीं हूँ मैं तो एकसाधारण मनुष्य हूँ प्रायः मैं सेठ साहुकार अमीरों के लड़कों को व्यापारिक सम्बन्धी अंग्रेजी तार लिखना पढ़ना बातचीत करना हिन्दी वानिका इत्यादि पढ़ाता है और तेरह चौदह घंटा लडकां को शिक्षा देता है और अपना निर्वाह करता है जैसे फिलहाल माईन्स विद्या वाले प्रत्यक्ष प्रमाण में जिस किमी वस्तु का निर्णय कर लेते हैं उस वस्तु को अंगीकार करने में और जग जाहिर करने में उनकी मनोवृत्तियों नहीं रूकती वैसे ही इनजनाचार्य पर श्री जवाहरलालजी महाराज के गणां के प्रति मेरे हृदय में भाव पैदा हुआ है उनका अंा मात्र उहार आप सर्व सजनो के कर कमला म अर्पा किया है अगर कोई लिखने छपने में न्यूनाधिक हुआ हो तो पाठकसमा प्रदान करें। श्रीमान लक्ष्मानंदजी डागा के सुपत्र केशरीचंदजी माणकचंदजी यह पुस्तक अमृल्म आपकी सेवा में भेट करते हैं जिमको पढ़ करके आप भी स्वधर्म के उद्धार करने में उपरोक्त मजनों का अनुकरण करेंगे।