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________________ "भय भंजक नवकार" पू गणिवर्य श्री जयन्तविजयजी म. सा. श्री वर्धमान जैन पेढी सौजतसिटि पाली देते कहा कि इसे कान पर लगा दो।" उस भाई ने कान पर श्री नमस्कार मंत्रका प्रभाव व संस्मरण मुहपत्ति रखी तो उसमें से नमस्कार मंत्र के शद सुनाई वैसे तो परंपरागत एवम मान्यतावश नमस्कार देने लगी। उस भाई ने आश्चर्यान्वित होकर प्रति मंत्र की उपासना जैन जगत में सवं विदित है। परन्तु प्रश्न किया कि मुझे नवकार मंत्र के शब्द कहा से कभी कभी विशेष प्रसंग में अन्दर की श्रद्धा की सुनाई दे रहे है? वल्लभसूरि म. ने कहा, "मेरे मन में अभिव्यक्ति जब होती है तो स्मृति में वे बातें सदा नवकारमंत्र का जाप चालु है और उन शब्दों का याद बनी रहती है। उन अनुभवों के तीन प्रसंग यहाँ कनेक्शन मुहपत्ति में लग गया है। अतः तुम्हे सुनाई पर अंकित किये जा रहे है। दे रहा है।" आगे कहा कि, "सूक्ष्म जाप एवम् _ विहार में हम ठाणा ३ पाली जिले के जैतारण से लयबद्ध शब्द स्थूल जगत् को प्रभावित करने में चंडावल गाँव में स्थिरवास एक स्थानक में थे। यहाँ नवकार मंत्र के शब्द प्रर्याप्त हैं। पर मन्दिर मार्गी समाज के घर नहीं थे। गर्मी का समय ___आवश्यकता है निष्ठा, श्रद्धा एवम् संकल्प की। था। दरवाजे दो तरफ के खुले थे। रात्रि के प्रायः प्रश्नकर्ता के उपर उसका असर पड़ा और वह बारह बजे किसी जहरिले जानवर ने हाथ पर डंक व्यक्ति वहाँ से चला गया। यही सुनी बात ने भी मेरे मारा। नींद खुल गई। शरीर में बेचेनी, गर्मी एवम् खून विश्वास को संबल दिया। का पानी हो रहा है ऐसा आभास हो रहा था। शायद (३) आज की रात्रि कालशस्त्र बनेगी एसा लगा। मैं अपने ___एक बार विहार में अकेला ही था। पेशाब जलन संस्तरण से उठकर बाहर बरामदे में गया। वहाँ पर कई दिनों से चालू थी। दवाईयों का भी कोई असर नहीं नवकार मंत्र का एकाग्रचित्त से जाप करने लगा तो कुछ हो रहा था। परेशानी भी हो रही थी। मारवाड़ के समय बाद देवेनी एवंम् भय दूर हो गया था। मन बार बार बिजापुर में उपाश्रय में स्थिरवास था। वहाँ के श्रावकों इसी निर्णय पर पहुँचा कि नवकार मंत्र ने रक्षण किया __ से बीमारी की बात की तो उन्होंने देशी आयुर्वेदिक है। दूसरे दिन वहाँ से विहार कर दिया था। हाथ पर दवा ला दी। मेरा अब दवाई पर से विश्वास उठता जा सूजन ८, १० दिन तक रहा। रहा था। उस रोज पेशाब की बीमारी चरम सीमा पर (२) थी। श्रावकों से मैंने कहा दिया था कि आजकी रात्रि पंजाब के विहार में एक भाईने वल्लभसूरिजी म.. मेरे लिए शायद अन्तिम होगी। शाम की प्रतिक्रमण का प्रसंग इस प्रकार सुनाया कि एक भाई ___ भी मुझसे करवाया नहीं जायेगा; क्योंकि कुंडी लेकर श्रीवल्लभसूरिजी म. के पास आकर कहने लगा, बैठना पड़ता था। टिपे टिपे पेशाब करके थोडी सी "नवकारमंत्र" की इतनी महिमा बताई जाती है तो राहत लेता था। दिन के चार बजे मन में एक संकल्प मुझे विश्वास बैठे ऐसा कुछ करें।" किया कि अब तो नवकार मंत्र का जाप चालू करूँ एवम् जो श्री वल्लभसरि म. ने हाथ में से महपत्ति उसके हाथ में ठीक हो गया तो केसरियाजी यात्रा कर लूंगा। - - - - -
SR No.032463
Book TitleJena Haiye Navkar Tene Karshe Shu Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagar
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2015
Total Pages260
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size33 MB
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