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५. राग - परिहार
सूत्र
३४. रागो य दोसो वि य कम्मबीयं, कम्मं च मोहप्पभवं वयंति । कम्मं च जाई मरणस्स मूलं, दुक्खं च जाईमरणं वयंति ||१||
राग और द्वेष कर्म के बीज हैं । कर्म मोह से उत्पन्न होता है । वह जन्म-मरण का मूल है । जन्म-मरण को दुःख का मूल कहा गया है ।
प. राग - परिहार सूत्र
३४. राग याने द्वेष धर्मनां जी छे. धर्म मोहथी उत्पन्न थाय छे. ते ४न्म-मरानुं भूज छे. ४न्म-मरणने हु:जनुं भूज छे.
5. RAAG - PARIHAR SOOTRA
34. Attachment and aversions are seeds of karmas. Karmas are formed through illusive attachment, which is the root cause of births and deaths, which, in turn, are root cause of miseries.
३५. न वि तं कुणइ अमित्तो, सुठु वि य विराहिओ समत्थो वि । जं दो वि अनिग्गहिया, करंति रागो य दोसो य ॥२॥
अत्यन्त तिरस्कृत समर्थ शत्रु भी उतनी हानि नहीं पहुँचाता, जितनी अनिगृहीत / अनियंत्रित राग और द्वेष पहुँचाते हैं ।
૩૫. અતિશય તિરસ્કાર પામેલ સમર્થ શત્રુ પણ એટલું નુકસાત નથી કરતો, જેટલું અનિયંત્રિત રાગ અને દ્વેષ કરે છે.
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35. A powerful enemy, who is intensively humiliated, does not cause that much harm/damage which is caused by uncontrolled attachment & aversion.
ષિ વીતરાગ વૈભવ