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३४०. भ्यां
દુઃખ નથી સુખ તથી, પીડા તથી બંધત તથી, મરણ તથી જન્મ તથી, એ જ નિર્વાણ છે.
340. Where there is no pain, no pleasure, no ailment, no bondage no death, no birth and that is "Nirvan".
३४१. ण वि इंदिय उवसग्गा, ण वि मोहो विम्हयो ण णिद्दा य । णय तिन्हा णेव छुहा, तत्थेव य होइ णिव्वाणं || ६ ||
जहाँ न इन्द्रियाँ हैं न उपसर्ग, न मोह हैं न विस्मय, न निद्रा है न तृष्णा और न भूख, वहीं निर्वाण है ।
३४१. भ्यां धन्द्रियो नथी, उपसर्ग नथी, मोह नथी, विस्मय नथी, નિદ્રા તથી, કૃષ્ણા કે ભૂખ નથી એ જ નિર્વાણ છે.
341. Where. there are no senses, no manmade calamities, no enchantment, no surprise, no sleep, no greed - aspiration, not even hunger. That is Nirwana.
३४२. ण वि कम्मं णोकम्मं, ण वि चिंता णेव अट्टरुद्दाणि । ण वि धम्मसुक्कझाणे, तत्थेव य होइ णिव्वाणं ॥ ७ ॥
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जहाँ न कर्म है न नोकर्म, न चिन्ता है न आर्त - रौद्रध्यान, न धर्मध्यान है और न शुक्लध्यान, वहीं निर्वाण है ।
३४२. भ्यां धर्म नथी, खर्म नथी, चिंता नथी, खार्त-रौद्र ध्यान नथी, ધર્મધ્યાન નથી અને શુક્લધ્યાન નથી, એ જ નિર્વાણ છે.
વીતરાગ વૈભવ