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(Paramatma). They are not expecting any help from senses etc. being possessor of knowledge & perception in absolute terms due to which they are termed as 'Sayogi Kevali Jin.' This is said in immortal Jinagam (Jaina scripture).
३२४. सेलिसिं संपत्तो, णिरुद्धणिस्सेस-आसओ जीवो । कम्मरयविप्पमुक्को, गयजोगो केवली होई ॥१९॥
जो शील के स्वामी हैं, जिनके सभी नवीन कर्मों का आस्रव अवरुद्ध हो गया है, तथा जो पूर्वसंचित कर्मों से सर्वथा मुक्त हो चुके हैं, वे अयोगीकेवली कहलाते हैं ।
૩૨૪. જે શીલતા સ્વામી છે અને જેનાં બધાં નવાં કર્મોનો આસ્રવ બંધ થઈ ગયો છે તથા જે પૂર્વસંચિત કર્મોથી સર્વથા મુક્ત થઈ ગયેલ છે, તે અયોગીકેવળી કહેવાય છે.
324. Those who are master of cellibacy (character) and whose all karmas are destroyed i.e. influx is totally stopped and also who are free of TOTAL KARMAS are called 'AYOGI KEWALI'.
३२५. लाउअ एरण्डफले, अग्गीधूमे उसू धणुविमुक्के ।
गइ पुव्वपओगेणं, एवं सिद्धाण वि गती तु ॥ १ ॥
जैसे मिट्टी का लेप दूर होते ही तुम्बी ऊपर तैरने लग जाती है, एरण्ड के फल के फूटने पर उसके बीज ऊपर को हो जाते हैं, अग्नि या धूम की गति स्वभावतः ऊपर की ओर होती है, धनुष से छूटा हुआ बाण पूर्व-प्रयोग से गतिमान् होता है, वैसे ही सिद्ध जीवों की गति भी स्वभावतः ऊपर की ओर होती है ।
GLORY OF DETACHMENT
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