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निर्माणधीन 'समता नगर' में श्री अ. भा. साधुमार्गी जैन संघ को दो भूखण्ड भेंट कर अपनी प्रशस्त भावना का परिचय दिया है।
श्री गोपालचन्दजी ने भी विरासत में अपने पितृश्री व मातुश्री के संस्कारों को प्राप्त कर इन्हें सदैव वृद्धिंगत रखा है। आपने उद्योग, व्यापार में आशातीत प्रगति की है तथा श्रमनिष्ठता, प्रामाणिकता, नैतिकता को जीवन पाथेय बनाया है तथा अपने पितृश्री के पदचिन्हों का अनुसरण कर 'कर्मप्रकृतिभाग दो' के प्रकाशन का अर्थ- भार वहन किया है, वह स्तुत्य व श्लाघनीय है। कर्मप्रकृति भाग एक का प्रकाशन भी आपके पिताश्री के अर्थ सहयोग से ही सम्पन्न हुआ था।
संघ श्री भूरा परिवार के प्रति आभार, धन्यवाद व साधुवाद ज्ञापित करता है। विश्वास है संघ की गतिविधियों के संचालन, सातत्य, विकास हेतु आपका सहयोग प्राप्त होता रहेगा।
- चम्पालाल डागा