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________________ स्वामी संक्रमस्थान | संक्रम प्रकृतियां | सत्ता संक्रमकाल २१ प्रकृतिक | १२ कषाय, ९ नोकषाय | २१प्र. अन्तर्मुहूर्त अपूर्वकरण गुण. पतद्ग्रहस्थान पतद्ग्रह प्रकृतियां ९ प्रकृतिक | संज्वलन चतुष्क, पु. वेद, हास्य, | रति, भय, जुगुप्सा ५ प्रकृतिक | संज्वलन चतुष्क, पु. वेद संक्रमकरण ] पूर्वोक्त कपाय | २१ प्रकृतिक , , २१प्र. अन्तर्मुहूर्त अनि. गुण. (अंतर करण पूर्व) २० प्रकृतिक | संज्वलन लोभ रहित | २१प्र.. अन्तर्मुहूर्त ,, (अन्तरकरण में) १९ प्रकृतिक | ११ कषाय, नपु. वेद | २१प्र. अन्तर्मुहूर्त ,, (अन्तरकरण रहित ८ नोकषाय बाद) १८ प्रकृतिक | ११ कषाय, हास्य षट्क २१प्र. अन्तर्मुहूर्त | पुरुषवेद १८ प्रकृतिक , , | २१प्र. समयो. आव. द्विक , १२प्रकृतिक | ११ कषाय पुरुषवेद २१प्र. समयो. आव. द्विक , ११ प्रकृतिक २१प्र. अन्तर्मुहूर्त , ११ प्रकृतिक | ११ कषाय २१प्र. समयो. आव. द्विक , ९ प्रकृतिक | अप्रत्या. प्रत्या. क्रोध | २१प्र. समयो. आव. द्विक , रहित पूर्वोक्त ८ प्रकृतिक | संज्वलन क्रोध रहित । २१प्र. अन्तर्मुहूर्त पूर्वोक्त ४ प्रकृतिक | संज्वलन चतुष्क ११ कषाय ३ प्रकृतिक | संज्वलन मान, माया, लोभ 1
SR No.032438
Book TitleKarm Prakruti Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year2002
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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