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पतद्ग्रह
स्थान
४
२
१
पतद्ग्रह प्रकृते
संज्व. ४पुंवेद, हास्य
रति, भय, जुगुप्सा
पुंवेद, संज्व, ४
संज्वलन चतुष्क
संव, मान, माया, लोभ
संज्व. माया, लोभ
संज्वलन लोभ
३ - क्षायिक सम्यग्दृष्टि के उपशम श्रेणि में
संक्रम
स्थान
२१
२१
संक्रम प्रकृतियां
५
१२ कषाय, ९ नोकषाय
१२ कषाय,९ नोकषाय
२१
२०
संज्व. लोभ वर्ज पूर्वोक्त
२१
१९ ११ कषाय नपुं. वर्ज ८ नौ. २१
१८
११ हास्यषट्क, पुं.
१८
११ हास्यषट्क, पुं.
१२
११ कषाय हास्यषट्कपुं.
११
११ कषाय
११
११ कषाय
९ अप्र. प्रत्या क्रोध वर्ज पूर्वोक्त
८
संज्व. क्रोध वर्ज पूर्वोक्त
८
संज्व. क्रोध वर्ज पूर्वोक्त
२१
६ अप्र. प्रत्या. मान वर्ज पूर्वोक्त २१
५
संज्व. मान वर्ज पूर्वोक्त
२१
संज्व. मान वर्ज पूर्वोक्त
कितनी कौनसे
सत्ता गुणस्थान
२१
८ वे
ov ov
२१
२१
२१
२१
२१
२१
२१
10 to
९ व
९ वें
९ वें
९ व
९ वें
९ वें
९ वें
९ वें
९ वें
९ वें
९ वें
९ वें
९ वें
९ वें
संक्रम काल
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
समयोन आवद्विक
समयोनआवद्विक
अन्तर्मुहूर्त
समयोनआवद्विक
समयोन आवद्विक
अन्तर्मुहूर्त
समयोन आवद्विक
समयोनआवद्विक
अन्तर्मुहूर्त
समयोन आवद्विक
स्वामी
अपूर्वकरण गुण
अन्तरकरण के पूर्व
अन्तरकरण में
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
अन्तरकरण के बाद
परिशिष्ट ]
[ ४२१