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२ - उपशम सम्यग्दृष्टि के उपशम श्रेणि में
पतद्ग्रह | पतद्ग्रह प्रकृति
संक्रम
संक्रम प्रकृतियां
कितनी कौनसे
संक्रम काल
स्वामी
परिशिष्ट ]
स्थान
स्थान
सत्ता गुणस्थान २४ । ८ वें
११
अन्तर्मुहूर्त
अपूर्वकरण
|
२३
하
अन्तरकरण के पूर्व में
अन्तरकरण में
하
하
अन्तरकरण बाद
하
अन्तरकरण बाद
하
अन्तरकरण बाद
संज्वलन ४पुंवेद, भय
अनं वर्ज २१ कषाय जुगुप्सा, हास्य, रति
मिथ्यात्व, मिश्र सम. मिश्र. संज्व.४ पुंवेद सम.मिश्र
मिथ्यात्व मिश्र संज्व. लोभ वर्ज पूर्वोक्त नपुंसकवेद वर्ज पूर्वोक्त
स्त्रीवेद वर्ज पूर्वोक्त संज्वलन ४, सम., मिश्र.|
स्त्रीवेद वर्ज पूर्वोक्त हास्यषट्कवर्ज पूर्वोक्त
पुंवेद वर्ज पूर्वोक्त संज्व. मान माया लोभ
पुंवेद वर्ज पूर्वोक्त सम. मिश्र
| अप्र.प्रत्याक्रोध वर्ज पूर्वोक्त
संज्वलन क्रोध वर्ज पूर्वोक्त संज्व. माया, लोभ, | संज्वलन क्रोध वर्ज पूर्वोक्त सम. मिश्र. | ८ | अप्र.प्रत्या.मान वर्ज पूर्वोक्त
संज्वलन मान वर्ष पूर्वोक्त
하
अन्तरकरण बाद
하
अन्तरकरण बाद
अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त समयोन आव.द्विक समयोन आवद्विक
अन्तर्मुहूर्त समयोन आव द्विक समयोन आव द्विक
अन्तर्मुहूर्त समयोन आव द्विक समयोन आव द्विक
अन्तर्मुहूर्त समयोन आव द्विक
하
अन्तरकरण बाद
하
अन्तरकरण बाद
하
अन्तरकरण बाद
अन्तरकरण बाद
하
अन्तरकरण बाद
하
अन्तरकरण बाद
संज्वलन लोभ, सम.मिश्र
संज्वलन मान वर्ज पूर्वोक्त
९ वें |
अन्तरकरण बाद
882 ]