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________________ ४१२ ] [कर्मप्रकृति m- विषमचतुरस्र स्थापना का प्रारूप एवं स्पष्टीकरण मुक्तावली का प्रारूप और स्पष्टीकरण षट्स्थान पतित का प्रारूप और स्पष्टीकरण अपूर्वकरण में विशुद्धि स्थानों का स्पष्टीकरण आठ भंगों के नाम और उनका स्पष्टीकरण अनन्तानुबंधी के उपशमना विधान का स्पष्टीकरण उपशमना के भेदों की व्याख्या उपशमनाकरण गाथा २४ का स्पष्टीकरण 3 उदयप्रकरण गाथा ३२ के सन्दर्भ में सत्ताप्रकरण गाथा ४ से संबंधित मूलकर्मबंध में बंधस्थान, उदयस्थान, सत्तास्थान प्रारूप मूलकर्म के उदय में बंधस्थान, उदयस्थान, सत्तास्थान प्रारूप मूलकर्म की सत्ता में बंधस्थान, उदयस्थान, सत्तास्थान का प्रारूप बंधादि स्थानों के जघन्योत्कृष्ट काल का प्रारूप बंधादि स्थान आश्रयी स्थानों का संबंध क्षीयमाण प्रकृतिदर्शक प्रारूप मूल एवं उत्तर प्रकृति आश्रित बंधादिचतुष्क में भूयस्करादि बंधचतुष्क का प्रारूप गाथानुक्रमणिका ग्रन्थगत कतिपय विशिष्ट पारिभाषिक शब्द २.
SR No.032438
Book TitleKarm Prakruti Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year2002
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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