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________________ ३७२ ] [ कर्मप्रकृति प्रकृतियों के स्तिबुकसंक्रमण से एक-एक समय प्रमाण स्थिति क्षीण होती है। इसलिये प्रतिसमय नये-नये स्थितिविशेष प्राप्त होते हैं, यथा – वह स्थावर प्रायोग्य जघन्य स्थितिसत्कर्म प्रथम समय के व्यतीत होने पर एक समय कम स्थितिसत्व हो जाता है, दूसरे समय के व्यतीत होने पर दो समय कम हो जाता है, तीसरे समय के बीतने पर तीन समय कम हो जाता है, इत्यादि क्रम से अन्तर्मुहूर्त काल के द्वारा उस स्थितिखंड को घात करता है। इस प्रकार अन्तर्मुहूर्त काल के समय प्रमाण स्थितिस्थान निरन्तर पाये जाते हैं और उसके बाद इतनी स्थिति एक साथ ही त्रुटित होती है, इस कारण अन्तर्मुहूर्त से ऊपर निरन्तर स्थितिस्थान नहीं पाये जाते हैं। तत्पश्चात् पुनः दूसरे पल्योपम के असंख्यात भाग मात्र खंड को अन्तर्मुहूर्त मात्र काल से घात करता है। वहां पर भी प्रति समय अघःस्तन एक-एक समय प्रमाण स्थिति के क्षय की अपेक्षा निरन्तर स्थितिस्थान पूर्व प्रकार से पाये जाते हैं। इस दूसरे स्थितिखंड के घात होने पर पुनः पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण स्थिति एक साथ ही टूटती है। इसलिये पुनः अन्तर्मुहूर्त से ऊपर निरन्तर स्थितिस्थान नहीं पाये जाते हैं। इस प्रकार निरन्तर और सान्तर स्थितिस्थानों के प्राप्त होने का क्रम एक आवलिका शेष रहने तक जानना चाहिये। वह आवलिका भी उदयवती प्रकृतियों के अनुभवन से और अनुदयवती प्रकृतियों के स्तिबुकसंक्रमण से समय-समय में क्षय को तब तक प्राप्त होती है, जब तक कि एक स्थिति शेष रहती है। इसलिये ये आवलिका मात्र समय प्रमाण स्थितिसत्वस्थान निरन्तर पाये जाते इस प्रकार स्थितिस्थान के भेदों का वर्णन जानना चाहिये। अनुभागसत्कर्म निरूपण अब अनुभागसत्व का प्रतिपादन करते है - संकमसममणुभागे, नवरि जहन्नं तु देसघाईणं। छन्नोकसायवजाण (वजं) एगट्ठाणंमि देसहरं ॥ २१॥ मणनाणे दुट्ठाणं, देसहरं सामिगो य सम्मत्ते। आवरणविग्ध सोलसग - किट्टिवेएसु य सगंते ॥ २२॥ शब्दार्थ – संकमसममणुभागे – (अनुभाग) संक्रम के तुल्य अनुभागसत्व में, नवरिविशेष, जहन्नं – जघन्य, तु – किन्त, देसघाईणं – देशघातिनी प्रकृतियों का, छन्नोकसायवजाणछह नोकषाय को छोड़कर, एगट्ठाणंमि – एक स्थानक, देसहरं – देशघाती।
SR No.032438
Book TitleKarm Prakruti Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year2002
Total Pages522
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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