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गाथा - ६७
गाथा - ६८
२३५
गाथा - ६९
२३६
गाथा - ७०
२३७
गाथा - ७१
२३७
गाथा – ७२
२३८
उद्योत, आतप, आनुपूर्वीचतुष्क का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व तैजस सप्तक आदि पच्चीस प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व पूर्वोक्त से शेष रही अशुभ प्रकृतियों का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व अवधिद्विकावरण का उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व मति श्रुत मनःपर्याय ज्ञानावरण अवधिद्विकावरण का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व अन्तरायपंचक, केवलद्विक नवनोकष्यप, संज्वलनचतुष्क, निद्राद्विक का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व सत्यानचित्रिक, सम्यक्त्वमोहनीय का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व मिथ्यात्व आदि मोहनीय की तेरह प्रकृतियों का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व पुद्गलविपाकी प्रकृतियों का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व अंगोपांगत्रिक का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व समचतुरस्र संस्थान, वज्र ऋषभ नाराय संहनन, उपघात का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व सेवार्त संहनन शुभवर्णदि एकादश आदि बीस प्रकृतियों का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व प्रत्येक साधारण, आतप, उद्योत का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व तीर्थंकर नाम, नील आदि नौ अशुभ प्रकृतियों का जघन्य अनुभाग-उदीरणा स्वामित्व पूर्वोक्त से शेष प्रकृतियों का जघन्य अनुभागउदीरणा स्वामित्व, व प्रदेश-उदीरणा के अर्थाधिकार
गाथा - ७३
२३९
गाथा
२४०
गाथा - ७५
२४०
गाथा - ७६
गाथा - ७७
२४२
गाथा - ७८
२४३
गाथा - ७९
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