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जोधपुर राज्यसभा में स्थगित नाबालिग दीक्षा का प्रस्ताव पुनः इलाहाबाद की धारा सभा में पेश हुआ। उस विषय में कानून बनाने के लिए आठ सदस्यों की एक कमेटी बनी। उसके सदस्यों में लाला सुखवीरजी, श्री मोतीलाल नेहरू, मालवीयजी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। तेरापंथ समाज के जिम्मेदार श्रावकों के पास यह बात पहुंची। उन्होंने विचार-विमर्श किया कि यदि ऐसा कानून बन गया तो मोठों के साथ घुण पीसने वाली कहावत सच हो जाएगी। भिखारियों की संख्या पर नियन्त्रण जरूरी है, पर भिक्षुक नाम से त्यागी साधुओं को उनके साथ जोड़ना उचित नहीं है। इसलिए कुछ व्यक्तियों को इलाहाबाद जाकर कार्यवाही करनी चाहिए।
कुछ श्रावक इलाहाबाद पहुंचे। वे लाला सुखवीरजी से मिले। उन्हें तेरापंथ संघ की विशेषताओं से अवगत किया। कालूगणी और तेरापंथ की दीक्षा के बारे में जानकारी दी। लालाजी ने सारी बात सुनकर कहा-'यह कानून ऐसे धर्म और धार्मिकों के लिए नहीं होगा।' उन्होंने कालूगणी से मिलने की इच्छा प्रकट की। श्रावक उन्हें साथ लेकर ब्यावर गए। कालूगणी के दर्शन करके तथा उनसे बातचीत कर वे बहुत प्रभावित हुए। उन्हें वहां दम्पति-दीक्षा देखने का भी अवसर मिल गया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह नाबालिग प्रस्ताव पारित होगा तो भी तेरापंथ को छोड़कर ही होगा। उन्हीं दिनों यूरोप में युद्ध छिड़ जाने से वह प्रस्ताव यों ही रह गया।
यू.पी. में प्रस्तुत नाबालिग दीक्षा का प्रस्ताव आगे चलकर दिल्ली की कौन्सिल में प्रस्तुत हुआ। यह बात वि.सं. १६७६ की है। इस विषय की सूचना मिलते ही श्रावक दिल्ली पहुंचे। वहां लाट साहब से मिलकर उन्होंने सारी स्थिति स्पष्ट की। आखिर दिल्ली-कौंसिल में भी वह बिल पास नहीं हो सका। वैसे भी राजनीति में हर कार्य के सम्पादन में बाधाएं आती ही रहती हैं। पर चतुर्विध धर्मसंघ इस बात के लिए सदा जागरूक रहता है कि संघीय विकास के कार्यों में कोई व्यवधान न आने पाए। इस घटना क्रम का वर्णन चतुर्थ गीत में उपलब्ध है।
___ कालूगणी मेवाड़ की यात्रा करते हुए चित्तौड़ पधारे। वहां पहले से ही विरोधी वातावरण था। विरोधी लोगों ने वहां अफीम तोलने के कांटे के एक अफसर को भ्रान्त बना दिया। वह कालूगणी से मिलने आया। कालूगणी उसे जैनधर्म के बारे में समझा रहे थे। उस समय एक व्यक्ति ने बीच में ही एक प्रश्न उपस्थित किया। श्रावक अम्बालालजी कावड़िया ने उसका सटीक उत्तर देकर प्रश्नकर्ता को मौन कर दिया।
इधर कालूगणी के प्रतिबोध से अफसर समझ गया। इससे विरोधी लोग
३२ / कालूयशोविलास-१