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अन्तर ढाळ कहनी है इक बात हमें इस देश के पहरेदारों से, संभल के रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से, झांक रहे हैं अपने दुश्मन अपनी ही दीवारों से, संभल के रहना... जनता से नेताओं से, फोजों की खड़ी कतारों से, संभल के रहना...ध्रुव. हे भारत माता के बेटो ! सुनो समय की बोली को, फैलाती है फूट यहां पर दूर करो उस टोली को। कभी न जलने देना तुम उस भेदभाव की टोली को, जो गांधी को चीर गई थी याद करो उस गोली को। सारी पृथ्वी जल जाती है मुट्ठी भर अंगारों से।। संभल के रहना...
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ओ जी हो गोरी रा लसकरिया, ओल्यूंडी लगाय सिद्ध चाल्या जी ढोला। ध्रुव.. ऊंची तो खींवै ढोला बीजली, नीची खींवै रे निवाण जी ढोला। होजी गोरी रा लसकरिया, घड़ी दोय लसकर थामो जी ढोला। पलक दोय लसकर थामो जी ढोला।। म्हारो तो थाम्यो लसकर नां थमै, थारै बापुसा रो थाम्यो लसकर थमसी ए गोरी। ओजी ओ...
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म्हारा पूज्य परम गुरु चंगो सुयश जग लीज्यो जी। म्हांनै स्हाज सदा ही दिज्यो जी।। म्हारा... ध्रुव. जय-जय नंदा, जय-जय भद्दा जय-विजय तुम वरज्यो। अणजीत्या नै जीत जीत्यां री रक्षा सूड़ी करज्यो जी।। म्हारा पूज्य परम गुरु चंगो सुयश जग लीज्यो जी।
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सुगणा ! पाप पंक परहरिये। पाप पंक परहरिये दिल स्यूं वोसिरावै अध भार, इह विध निज आतम निस्तार।। सुगणा!...ध्रुव. प्राणातिपात प्रथम अघ आख्यो, दूजो मिरषावाद । अदत्तादान तीजो अघ कहियै, चौथो मिथुन विषाद।। सुगणा...
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भावै भावना। ध्रुव. पुण्य पाप पूरव कृत सुख-दुख नां कारण रे। पिण अन्य जन नहीं इम करै विचारण रे।। भावै भावना।।
परिशिष्ट-३ / ३४६