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२६. समर मच्यो यूरोप में रे, तिण स्यूं बो प्रस्ताव।
बरसां तक झिलतो रह्यो रे, हुयो न को निपटाव।। ३०. लाला सिंह सुखवीरजी रे, दिल्ली कौंसिल मध्य।
नव निर्वाचन में बण्या रे, सद्य सफल पार्षद्य ।। ३१. अब यू. पी. नै छोड़ के रे, नाबालिग-प्रस्ताव।
दिल्ली कौंसिल में ठव्यो रे, पूरववत दृढभाव।। ३२. उगणीसै गुणियासियै रे, विक्रम संवत भाल।
श्रावक तेरापंथ रा रे, खबर लही तत्काल ।। ३३. प्रोत्साही श्रीचंदजी रे, गधैया गणभक्त।
छोगमल्लजी चोपड़ा रे, शासण में अनुरक्त।। ३४. रावतमलजी सेठिया' रे, गोठीजी व्रत-पीण।
कोठारी शशि-केशरी रे, वाचो-युक्ति-प्रवीण।। ३५. भारी हार्दिक भाव स्यूं रे, कीन्हो पूर्ण प्रयास।
ठेट लाट साहिब निकट रे, मिल कीन्हो संभाष।। ३६. आखिर दिल्ली कौंसिले रे, हुयो नहीं बिल पास।
हुवै समस्यावां घणी रे, राजनीति में खास ।। ३७. तीरथ च्यार सुप्यार स्यूं रे, राखै नित इक ध्यान।
ज्यूं त्यूं धार्मिक संघ में रे, हुवै न विघ्न-वितान।। ३८. हां रे तब ब्यावर पुर स्यूं विहरत गणमणिधाम जो,
दौलतगढ़ आसींद पूज्य पगल्या धऱ्या रे लोय। हां रे गुरु अल्प समय ही लीन्हो शुभ विश्राम जो।
पुरजन परिजन सारां रा हिवड़ा ठऱ्या रे लोय।। ३६. हां रे अब फरसत बिच-बिच छोटा-मोटा ग्राम जो,
स्वाम पधाऱ्या गंगापुर गौरव घणे रे लोय। हां रे मर्यादा-मोच्छब रो है ठाट-हगाम जो,
इक शत छप्पन संत सती प्रमुदितपणे रे लोय।। ४०. हां रे है समुदित श्रावक-गण दस सहस प्रमाण जो,
जाण सुजाण-शिरोमणि गणि-चरणां झुकै रे लोय।
१. सरदारशहर-निवासी २. वृद्धिचन्दजी गोठी (सरदारशहर) ३. केशरीचन्दजी कोठारी (चूरू) ४. लय : हां रे हुं तो इचरज
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