________________
204. मोहनीय कर्म का उपशम छह द्रव्य में कौन ? नौ तत्त्व में कौन ?
उ. मोहनीय कर्म का उपशम छह में पुद्गल । नौ में तीन — अजीव, पाप, बंध | सात कर्मों का उपशम होता नहीं है।
205. मोहनीय कर्म का उपशम निष्पन्न छह द्रव्य में कौन ? नौ तत्त्व में कौन ? उ. मोहनीय कर्म का उपशम निष्पन्न छह में जीव । नौ में तीन — जीव, संवर निर्जरा । शेष सात कर्मों का उपशम निष्पन्न नहीं होता ।
206. मोहनीय कर्म का उपशम निष्पन्न किस-किस गुणस्थान तक ? उ. मोहनीय कर्म के दो भेद हैं-दर्शन मोहनीय, चारित्र मोहनीय |
दर्शन मोहनीय का उपशम निष्पन्न — चौथे से ग्यारहवें गुणस्थान तक। चारित्र मोहनीय का उपशम निष्पन्न – एक ग्यारहवें गुणस्थान में । 207. क्षायोपशमिक भाव किसे कहते हैं ?
उ. चार घाति कर्मों के हलकेपन से होने वाली आत्मा की अवस्था को क्षायोपशमिक भाव कहते हैं। अर्थात् उदयावलिका में प्रविष्ट घाति कर्मों का क्षय और उदय में न आये हुए घाति कर्म का उपशम अर्थात् विपाक रूप से उदय नहीं होता है उसे क्षयोपशम कहते हैं।
208.
क्षायोपशम कितने कर्मों का होता है? उ. चार घातिकर्मों का ।
209. क्षायोपशम के कितने भेद हैं?
उ. क्षयोपशम के 32 प्रकार हैं
(1) ज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम से आठ — प्रथम चार ज्ञान, तीन अज्ञान, और भणन - गुणन ।
दर्शन,
(2) दर्शनावरणीय कर्म के क्षयोपशम से आठ — पांच इन्द्रियां, चक्षु अचक्षु दर्शन और अवधि दर्शन ।
देश
(3) मोहनीय कर्म के क्षयोपशम से आठ – प्रथम चार — चारित्र, विरति और तीन दृष्टियां ।
-
(4) अन्तराय कर्म के क्षयोपशम से आठ — (1) दान लब्धि, (2) लाभ लब्धि, (3) भोग लब्धि, (4) उपभोग लब्धि, (5) वीर्य लब्धि, (6) बाल वीर्य, (7) पण्डित वीर्य, (8) बाल - पंडित वीर्य ।
210. क्षयोपशम छह द्रव्य में कौन ? नौ तत्त्वों में कौन ?
बंध |
-
उ. क्षयोपशम छह में पुद्गल । नौ में 3 – अजीव, पाप, 46 कर्म-दर्शन