________________
934. वज्रऋषभनाराच आदि छहों संहनन किन-किन शरीरों में होता है ?
उ. केवल औदारिक शरीर में ही छहों संहनन होते हैं। शेष चार शरीर अस्थि बिना के होने के कारण उनमें कोई भी संहनन नहीं होता ।
935. चार गति में से किस गति में कौनसा संहनन पाता है ?
उ.
* नारकी और देवता में संहनन नहीं होता।
* पांच स्थावर, तीन विकलेन्द्रिय, असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय, असंज्ञी मनुष्य में संहनन एक पाता है— सेवार्त ।
* गर्भज मनुष्य, गर्भज तिर्यंच में संहनन छहों ही पाते हैं।
* सर्वयुगलिया, तिरेसठ शलाका पुरुष में संहनन एक पाता है
वज्रऋषभनाराच ।
* सिद्धों में संहनन नहीं होता ।
936. शुक्ल - ध्यान की साधना के लिए और मोक्ष गमन के लिए कौनसा संहनन होना जरूरी है ?
उ. वज्रऋषभनाराच ।
937. उत्कृष्ट साधना की भांति उत्कृष्ट क्रूर-कर्म कौनसे संहनन वाले प्राणी करते हैं ?
उ. वज्रऋषभनाराच संहनन वाले। एक ओर मोक्ष; दूसरी ओर सातवी नरकभूमि - एक ही माध्यम से (वज्रऋषभनाराच संहनन से) दो परिणतियां पुरुषार्थ के सम्यक् और असम्यक् प्रयोग पर निर्भर करती हैं।
938. किस संहनन वाला कौन से देवलोक में उत्पन्न होता है ?
उ. देवलोक
संहनन
छह-सभी
पांच सेवार्त को छोड़कर
चार-कीलिका, सेवार्त को छोड़कर
तीन - अर्धनाराच, कीलिका, सेवार्त को छोड़कर
दो-वज्रऋषभनाराच, ऋषभनाराच
एक-वज्रऋषभनाराच
1 से 4 देवलोक
5 से 6 देवलोक
7 से 8 देवलोक
9 से 12 देवलोक 9 ग्रैवेयक
5 अनुत्तर
―
-
-
—
कर्म-दर्शन 199