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887. उत्तर वैक्रिय शरीर किसे कहते हैं? ___ उ. देव, नारकी, मनुष्य और तिर्यंच द्वारा निर्मित नया वैक्रिय शरीर उत्तर वैक्रिय
शरीर कहलाता है। 888. चारों गति के जीवों के उत्तर वैक्रिय शरीर का कालमान कितना है? उ. गति
कालमान जघन्य कालमान उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त
15 दिन नारक अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त मनुष्य चार मुहूर्त
चार मुहूर्त तिर्यंच पंचेन्द्रिय चार मुहूर्त
चार मुहूर्त वायुकाय अन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त 889. आहारक शरीर नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस नाम कर्म के उदय से जीव को आहारक शरीर की प्राप्ति होती है, उसे
आहारक शरीर नामकर्म कहते हैं।
890. आहारक शरीर किसे कहते हैं? __ उ. आहारक लब्धिा से प्राप्त शरीर को आहारक शरीर कहते हैं।
891. आहारक शरीर की लब्धि कौनसे गुणस्थान में प्राप्त होती है और उसका
प्रयोग कौनसे गुणस्थान में होता है? उ. आहारक शरीर की लब्धि सातवें गुणस्थानवर्ती साधु को प्राप्त होती है पर
उसका प्रयोग छठे गुणस्थान में अवस्थित साधु ही कर सकता है।
892. आहारक शरीर का निर्माण कितनी बार हो सकता है?
उ. एक भव की अपेक्षा दो बार अनेक भवों की अपेक्षा चार बार।
893. आहारक शरीर कौनसे संस्थान वाला होता है?
उ. समचतुरस्र संस्थान वाला।
894. आहारक शरीर सूक्ष्म होता है या स्थूल? उ. आहारक शरीर औदारिक और वैक्रिय की अपेक्षा सूक्ष्म तथा तैजस और
कार्मण की अपेक्षा स्थूल होता है। 192 कर्म-दर्शन :