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874. शरीर किसे कहते हैं? ___उ. 'सुख-दुःखानुभव साधनं शरीरम्' अर्थात् जिसके द्वारा सुख-दुःख की
__ अनुभूति होती है उसे शरीर कहते हैं।
875. औदारिक शरीर नामकर्म किसे कहते हैं? उ. उदार-सूक्ष्म अर्थात् हाड-मांस आदि से बना स्थूल शरीर। मांस, अस्थि,
रक्त, वीर्य आदि सात धातुओं से निर्मित शरीर को औदारिक शरीर कहते हैं। मोक्ष जाने में यह साधक है। अर्थात् मोक्ष की ओर ले जाने वाला यही शरीर माध्यम है। जिस नामकर्म के उदय से जीव को औदारिक शरीर की प्राप्ति होती हो उसे औदारिक नामकर्म कहते हैं। एकेन्द्रिय से लेकर
पंचेन्द्रिय तक (मनुष्य-तिर्यंच) औदारिक शरीरधारी होते हैं। 876. वैक्रिय शरीर नामकर्म किसे कहते हैं? उ. वैक्रिय, अर्थात् छोटे-बड़े आदि विविध रूप-विक्रिया कर सकने वाला
शरीर। जिस नामकर्म के उदय से जीव को वैक्रिय शरीर की प्राप्ति होती है उसे वैक्रिय शरीर नामकर्म कहते हैं। नारक और देवों के यह शरीर सहज होता है। मनुष्य और तिर्यंच भी वैक्रिय लब्धि प्राप्त कर इस शरीर का निर्माण कर सकते हैं। वायुकायिक जीवों के स्वाभाविक रूप से वैक्रिय शरीर होता है।
877. उत्तर वैक्रिय शरीर किसे कहते हैं? उ. देव, नारकी, मनुष्य और तिर्यंच द्वारा निर्मित नया शरीर उत्तर वैक्रिय शरीर
कहलाता है।
जघन्य
878. चारों गति के जीवों की वैक्रिय और उत्तर वैक्रिय शरीर की अवगाहना
कितनी है? उ. वैक्रिय की अवगाहनागति
उत्कृष्ट देवगति अंगुल का असंख्यातवां भाग सात हाथ नरकगति अंगुल का असंख्यातवां भाग 500 धनुष प्रमाण मनुष्यगति अंगुल का असंख्यातवां भाग साधिक एक लाख योजन वायुकाय अंगुल का असंख्यातवां भाग अंगुल का असंख्यातवां भाग तिर्यंच अंगुल के असंख्यातवें भाग जितनी 900 योजन
190 कर्म-दर्शन