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666. पांचों सम्यक्त्व की अल्पाबहुत्व का क्या क्रम है? उ. सबसे कम उपशम सम्यक्त्वी है। उससे संख्यात गुणा अधिक वेदक
सम्यक्त्वी, उससे संख्यात गुण अधिक सास्वादन सम्यक्त्वी, उससे असंख्य गण अधिक क्षयोपशम सम्यक्त्वी है, उससे अनन्त गुण अधिक
क्षायिक सम्यक्त्वी है (सिद्धों की अपेक्षा से)। 667. सम्यक्त्व के तीन प्रकार कौनसे हैं? __उ. सम्यक्त्व के तीन प्रकार-कारक, रोचक और दीपक सम्यक्त्व। 668. कारक सम्यक्त्व से क्या तात्पर्य है?
उ. कारक सम्यक्त्व के होने पर व्यक्ति सम्यक् आचरण करता है, जैसे साधु । 669. रोचक सम्यक्त्व से क्या तात्पर्य है? उ. रोचक सम्यक्त्व के होने पर व्यक्ति सदनुष्ठान में केवल रुचि रखता है,
क्रिया नहीं करता। जैसे सम्राट श्रेणिक आदि। 670. दीपक सम्यक्त्व किसे कहते हैं? उ. दीपक सम्यक्त्व-इसका शाब्दिक अर्थ है-सम्यक्त्व को दीप्त करना।
तत्त्वश्रद्धा से शून्य मिथ्यादृष्टि व्यक्ति भी धर्मकथा आदि के द्वारा दूसरों में तत्त्वश्रद्धा उत्पन्न कर देता है। कारण में कार्य का उपचार कर उसके इस उद्दीपन के परिणाम विशेष को दीपक सम्यक्त्व कहा जाता है। अभव्य और
मिथ्यादृष्टि भव्य के यह सम्यक्त्व होता है। 671. क्या सम्यक्त्व चारों गतियों में प्राप्त हो सकती है? उ. चारों ही गतियों में जीव औपशमिक, क्षायोपशमिक व सास्वादन सम्यक्त्व
को प्राप्त कर सकता है। क्षायिक व वेदक सम्यक्त्व मात्र मनुष्य गति में ही
प्राप्त होती है। 672. क्या सम्यक्त्व चारों गतियों में होती है? उ. चारों ही गतियों में चार सम्यक्त्व वाले जीव होते हैं वेदक को छोड़कर।
वेदक सम्यक्त्व प्राप्त जीव केवल मनुष्य गति में ही होते हैं। कुछ आचार्यों
ने तिर्यंचगति में क्षायिक सम्यक्त्व नहीं माना है। 673. क्षायिक सम्यक्त्वी कितने भवों में मोक्ष प्राप्त कर सकता है? उ. क्षायिक सम्यक्त्वी एक या तीन भवों में मोक्ष प्राप्त करता है। कदाचित् चार अथवा पांच भव भी प्राप्त करता है। यदि आयुष्य का बंध नहीं हुआ
# कर्म-दर्शन 149