________________
अनन्य उपकारी, संयम प्रदाता परमपूज्य गणाधिपति श्री तुलसी व प्रेक्षा प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का मंगल आशीर्वाद मेरे कार्य की सफलता का मूलभूत आधार है। सौम्यमूर्ति महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी व वात्सल्यमूर्ति साध्वीप्रमुखाश्रीजी कनकप्रभाजी की प्रत्यक्षतः पावन प्रेरणा से ही प्रस्तुत पुस्तक का लेखन-संकलन कार्य सुगमता से सम्पन्न हो पाया है।
पुस्तक संकलन में साध्वी सिद्धप्रभाजी का अनन्य सहयोग रहा। वे अहर्निश मनोयोग से मेरे साथ कार्यरत रहीं। उन्होंने जागरूकता व निष्ठा के साथ कार्य सम्पादित किया है। प्रश्नोत्तरों का अधिकतर संकलन, नंदी, श्रीभिक्षु आगम शब्दकोश भाग-I, II, भगवती, अवबोध, कर्मग्रन्थ, जैन तत्त्वविद्या, नवपदार्थ, तत्त्व संग्रह, कर्मविज्ञान, कर्मविपाक, उत्तराध्ययन आदि ग्रन्थों से किया गया है।
साध्वी मलययशाजी व साध्वी आस्थाप्रभाजी का भी अत्यन्त सहयोग रहा। कृतज्ञता की अभिव्यक्ति के पलों में श्रीमान् विजयराजजी मरोठी (गंगाशहर निवासी बेंगलूरु प्रवासी) को नहीं भुला सकती, जिनका पुस्तक सामग्री के संकलन में अपूर्व सहयोग रहा। श्रीमती संगीता भंसाली, गंगाशहर का भी अच्छा सहयोग रहा। मैं इन सबके प्रति और प्रत्यक्षतः व परोक्षतः जिस किसी का भी सहयोग मिला उन सबके प्रति हार्दिक अहोभाव व्यक्त करती हूँ । प्रस्तुत पुस्तक में कर्म सम्बन्धी काफी जानकारी एक ही जगह उपलब्ध हो सकेगी । तत्त्वविदों के लिए ज्ञानवृद्धि में सहायक बने, यह मेरी अभीप्सा है।
- साध्वी कंचनकुमारी 'लाडनूं'
कर्म-दर्शन
11