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468. अवधिज्ञान का संस्थान क्या है ?
उ. जघन्य अवधि का संस्थान जलबिंदु के समान 1 और सर्वोत्कृष्ट अवधि का संस्थान लोक की अपेक्षा से कुछ दीर्घता लिए आयत वृत्ताकार होता है। 2 मध्यम अवधि का संस्थान अनेक प्रकार का होता है। 3
469. चारों गतियों में उत्कृष्ट और जघन्य अवधिज्ञान किसमें होता है ?
उ. उत्कृष्ट अवधिज्ञान मनुष्यों में ही होता है, अन्य योनियों में नहीं होता । जघन्य अवधिज्ञान मनुष्यों और तिर्यंचों में ही होता है। मध्यम अवधिज्ञान चारों गतियों में होता है ।
470. अवधिज्ञान का जघन्य क्षेत्र कितना है ?
उ. अवधिज्ञान का जघन्य क्षेत्र - तीन समय का आहारक सूक्ष्म पनक (वनस्पति विशेष) जीव के शरीर की अवगाहना जितना । 4
471. अवधिज्ञान द्वारा जानने की क्षेत्र मर्यादा क्या है?
उ. भवनपति और व्यन्तर देवों का अवधिज्ञान ऊर्ध्व लोक को अधिक जानता है। वैमानिक देवों का अवधिज्ञान अधोलोक को अधिक जानता है। ज्योतिष्क और नारकीय देवों का अवधिज्ञान तिर्यग्लोक को अधिक जानता है। तिर्यंच और मनुष्यों का अवधिज्ञान औदारिक अवधिज्ञान होने से विविध प्रकार का होता है।
472.
श्रावक को अवधिज्ञान की प्राप्ति पहले होती है अथवा देशविरति ? उ. श्रावक को देशविरति की प्राप्ति पहले होती है। क्योंकि देशविरति आदि अभ्यास के पश्चात् ही अवधिज्ञान प्राप्त होता है।
1. आवश्यक निर्युक्ति-54
2. आवश्यक चूर्णि - 1, पृ. 55
3. नारक जीवों का अवधिज्ञान तत्प्राकार होता है। भवनपति देवों का अवधि पल्लक (धान्यकोष्ठक) के आकारवाला, व्यन्तर देवों का पटह के आकार वाला, ज्योतिष्क देवों का झल्लरी (आतोद्यविशेष) के आकार वाला, ग्रैवेयक देवों का पुष्पचंगेरी के आकार वाला, सौधर्म आदि कल्पवासी देवों का मृदंग के आकार वाला तथा अनुत्तर विमानवासी देवों का अवधिज्ञान यवनालक (कन्या चोलक) के आकारवाला होता है। स्वयंभूरमण समुद्र के मत्स्यों की भांति तिर्यंच और मनुष्यों का अवधिज्ञान नाना संस्थान वाला होता है। उन मत्स्यों में वलयकार मत्स्य नहीं होते, किंतु तिर्यंच और मनुष्य के अवधिज्ञान का संस्थान वलयाकार भी होता है।
4. नंदी 18/1
कर्म-दर्शन 107