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भगवती सूत्र
श. ९ : उ. ३२ : सू. ९०,९१ अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा होता है । अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक तमा में होता है । अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है । अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है । अथवा एक वालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है । अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमा में होता है । अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है । अथवा एक पंकप्रभा में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है । अथवा एक धूमप्रभा में, एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है ।
९१. भंते! चार नैरयिक नैरयिक- प्रवेशनक में प्रवेश करते हुए क्या रत्नप्रभा में होते हैं ? पृच्छा । गांगेय ! रत्नप्रभा में होते हैं यावत् अथवा अधः सप्तमी में होते हैं ।
अथवा एक रत्नप्रभा में और तीन शर्कराप्रभा में होते । अथवा एक रत्नप्रभा में और तीन वालुकाप्रभा में होते हैं । इस प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में और तीन अधः सप्तमी में होते हैं। अथवा दो रत्नप्रभा में और दो शर्कराप्रभा में होते हैं। इस प्रकार यावत् अथवा दो रत्नप्रभा में और दो अधः सप्तमी में होते हैं । अथवा तीन रत्नप्रभा में और एक शर्कराप्रभा में होता है। इस प्रकार यावत् तीन रत्नप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है । अथवा एक शर्कराप्रभा में और तीन वालुकाप्रभा में होते हैं । इस प्रकार जैसे रत्नप्रभा से ऊर्ध्ववर्ती पृथ्वियों के साथ विकल्पना की, वैसे ही शर्कराप्रभा से ऊर्ध्ववर्ती पृथ्वियों के साथ विकल्पना करनी चाहिए। इस प्रकार प्रत्येक पृथ्वी के साथ विकल्पना करनी चाहिए यावत् अथवा तीन तमा में और एक अधः सप्तमी में होता 1
अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो वालुकाप्रभा में होते हैं अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो पंकप्रभा में होते हैं। इस प्रकार यावत् एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और दो अधः सप्तमी में होते हैं । अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और एक बालुकाप्रभा में होता है। इस प्रकार यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, दो शर्कराप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है । अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक वालुकाप्रभा में होता है । इस प्रकार यावत् अथवा दो रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और दो पंकप्रभा में होते हैं। यावत् अथवा एक रत्नप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और दो अधः सप्तमी में होते हैं । इस प्रकार इस गमक से जैसे तीन नैरयिकों के त्रि-संयोगज भंग किए गए हैं, वैसे ही चार नैरयिकों का त्रि-संयोगज भंग वक्तव्य हैं यावत् अथवा दो धूमप्रभा में एक तमा में और एक अधः सप्तमी में होता है ।
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अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है । अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक तमा में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक अधः सप्तमी में होता है। अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और
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