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श. ९ : उ. ३१ : सू. ५५-६४
भगवती सूत्र और लोभ की प्रतनुता, मृदु-मार्दव सम्पन्नता, आत्म-लीनता और विनीतता के द्वारा किसी समय शुभ अध्यवसाय, शुभ परिणाम और लेश्या की उत्तरोत्तर होने वाली विशुद्धि से तदावरणीय (अवधि-ज्ञानावरणीय) कर्म का क्षयोपशम होता है, उसे ईहा, अपोह, मार्गणा, गवेषणा करते हुए अवधि-ज्ञान उत्पन्न होता है। वह पुरुष समुत्पन्न अवधि-ज्ञान के द्वारा जघन्यतः अंगुल के असंख्यातवें भाग, उत्कृष्टतः अलोक में असंख्येय लोक-प्रमाण खण्डों
को जानता-देखता है। ५६. भंते! उस श्रुत्वा-अवधि-ज्ञानी में कितनी लेश्याएं होती हैं?
गौतम! छह लेश्याएं होती हैं, जैसे-कृष्ण लेश्या यावत् शुक्ल लेश्या। ५७. भंते ! उसमें कितने ज्ञान होते हैं? गौतम! तीन अथवा चार। तीन होने पर आभिनिबोधिक-ज्ञान, श्रुत-ज्ञान और अवधि-ज्ञान ।
चार होने पर आभिनिबोधिक-ज्ञान, श्रुत-ज्ञान, अवधि-ज्ञान और मनःपर्यव-ज्ञान । ५८. भंते! क्या वह योग-सहित होता है? योग रहित होता है?
गौतम ! योग-सहित होता है, योग-रहित नहीं होता। यदि योग-सहित होता है तो क्या मनो-योगी होता है? वचन-योगी होता है? काय-योगी होता है? .
गौतम! मनो-योगी भी होता है, वचन-योगी भी होता है, काय-योगी भी होता है। ५९. भंते! क्या वह साकार-उपयोग से युक्त होता है? अनाकार-उपयोग से युक्त होता है?
गौतम! वह साकार उपयोग से भी युक्त होता है, अनाकार उपयोग से भी युक्त होता है। ६०. भंते! वह किस संहनन वाला होता है?
गौतम! वज्रऋषभनाराच-संहनन वाला होता है। ६१. भंते! वह किस संस्थान वाला होता है?
गौतम! छह संस्थानों में से किसी एक संस्थान वाला होता है। ६२. भंते! वह कितनी ऊंचाई वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः सात रत्नी, उत्कृष्टतः पांच सौ धनुष्य की ऊंचाई वाला होता है। ६३. भंते! वह किस आयु वाला होता है?
गौतम! जघन्यतः कुछ अधिक आठ वर्ष, उत्कृष्टतः पूर्व-कोटि-आयु वाला होता है। ६४. भंते! वह वेद-सहित होता है? वेद-रहित होता है? गौतम! वेद-सहित भी होता है, वेद-रहित भी होता है। यदि वेद-रहित होता है तो उपशान्त-वेद वाला होता है, क्षीण-वेद वाला होता है? गौतम! उपशांत-वेद वाला नहीं होता, क्षीण वेद वाला होता है। यदि वेद-सहित होता है तो क्या वह स्त्री-वेद वाला होता है? पुरुष-वेद वाला होता है? पुरुष-नपुंसक-वेद वाला होता है?
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