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भगवती सूत्र
श. ८ : उ. १ : सू. ६-१५ गौतम! पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत चार प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, तिर्यंच-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत। ७. नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा। गौतम! नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत सात प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-रत्नप्रभा-पृथ्वी-नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत यावत् अधःसप्तमी-पृथ्वी-नैरयिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग
-परिणत। ८. तिर्यग्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा। गौतम! तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत तीन प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-जलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, स्थलचर-तिर्यक्-योनिक- पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत,
खेचर(नभचर)-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत । ९. जलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा। गौतम! जलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसेसम्मूर्छिम-जलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, गर्भावक्रान्तिक-जलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत। १०. स्थलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा। गौतम! स्थलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसेचतुष्पद-स्थलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, परिसर्प-स्थलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत। ११. चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा। गौतम! चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यक्-योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सम्मूर्छिम-चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, गर्भावक्रान्तिक-चतुष्पद-तिर्यक्योनिक-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत। १२. इसी प्रकार इस अभिलाप के अनुसार परिसर्प दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-उरः-परिसर्प
और भुज-परिसर्प। उरः-परिसर्प दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सम्मूर्छिम और गर्भावक्रान्तिक। इसी प्रकार भुज-परिसर्प की वक्तव्यता। इसी प्रकार खेचर की वक्तव्यता। १३. मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा।
गौतम! मनुष्य-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत दो प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सम्मूर्च्छिम-मनुष्यपंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, गर्भावक्रान्तिक-मनुष्य- पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत । १४. देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा।
गौतम! देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत चार प्रकार के प्रज्ञप्त हैं, जैसे-भवनवासी-देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत, इसी प्रकार यावत् वैमानिक-देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत । १५. भवनवासी-देव-पंचेन्द्रिय-प्रयोग-परिणत की पृच्छा।
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