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भगवती सूत्र
प्रकामनिकरण - वेदना - पद
१५३. भन्ते ! क्या प्रभु प्रकाम-निकरण - प्रज्ञानहेतुक वेदना का वेदन करते हैं ?
हां, करते हैं।
श. ७: उ. ७,८ : सू. १५३-१५८
१५४. भन्ते ! प्रभु भी प्रकाम-निकरण - प्रज्ञानहेतुक वेदना का वेदन कैसे करते हैं ?
गौतम ! जो समुद्र के उस पार जाने में समर्थ नहीं है, जो समुद्र के पारवर्ती रूपों को देखने में समर्थ नहीं है, जो देवलोक में जाने में समर्थ नहीं है, जो देवलोकवर्ती रूपों को देखने में समर्थ नहीं है, गौतम ! यह प्रभु भी प्रकाम-निकरण वेदना का वेदन करता है ।
१५५. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है। 1
आठवां उद्देशक
मोक्ष-पद
१५६. भन्ते ! क्या छद्मस्थ मनुष्य निरन्तर गतिशील अनन्त अतीत समय में केवल संयम, केवल संवर, केवल ब्रह्मचर्यवास, केवल प्रवचनमाता की आराधना के द्वारा सिद्ध, प्रशान्त, मुक्त और परिनिर्वृत हुए? सब दुःखों का अन्त किया ?
गौतम ! यह अर्थ संगत नहीं है ।
१५७. भन्ते ! क्या उत्पन्न - ज्ञान - दर्शन के धारक अर्हत् जिन और केवली को 'अलमस्तु' ऐसा कहा जा सकता है ?
हां, गौतम ! उत्पन्न - ज्ञान-दर्शन के धारक अर्हत् जिन और केवली को 'अलमस्तु' ऐसा कहा जा सकता है ।
हस्ति और कुन्थु के जीव की समानता का पद
१५८. भन्ते! हाथी का जीव और कुन्थु का जीव एक समान है ?
हां, गौतम ! हाथी का जीव और कुन्थु का जीव एक समान है ।
भन्ते ! क्या हाथी की अपेक्षा कुन्थु अल्पतर कर्म, अल्पतर क्रिया, अल्पतर आश्रव, अल्पतर आहार, अल्पतर नीहार, अल्पतर उच्छ्वास, अल्पतर निःश्वास, अल्पतर ऋद्धि, अल्पतर महिमा और अल्पतर द्युति वाला है ?
कुन्थु की अपेक्षा हाथी महत्तर कर्म, महत्तर क्रिया, महत्तर आश्रव, महत्तर आहार, महत्तर नीहार, महत्तर उच्छ्वास, महत्तर निःश्वास, महत्तर ऋद्धि, महत्तर महिमा और महत्तर द्युति वाला है ?
हां, गौतम ! हाथी की अपेक्षा कुन्थु अल्पतर कर्म वाला है और कुन्थु की अपेक्षा हाथी महत्तर कर्म वाला है; हाथी की अपेक्षा कुन्थु अल्पतर क्रिया वाला है और कुन्थु की अपेक्षा हाथी महत्तर क्रिया वाला है;
हाथी की अपेक्षा कुन्थु अल्पतर आश्रव वाला है और कुन्थु की अपेक्षा हाथी महत्तर आश्र
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