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भगवती सूत्र
श. ७ : उ. २ : सू. २८-३४ मृषावादी मनुष्य सब प्राण यावत् सब सत्त्वों के प्रति तीन योग और तीन करण से असंयत, अविरत, अतीत के पापकर्म का प्रतिहनन न करने वाला, भविष्य के पापकर्म का प्रत्याख्यान न करने वाला होता है। वह कायिकी आदि क्रिया से युक्त, असंवृत, एकान्तदण्डक और एकान्तबाल भी होता है। जो पुरुष कहता है-मैंने सब प्राण यावत् सब सत्त्वों के वध का प्रत्याख्यान किया है, और जिसे यह ज्ञात होता है कि ये जीव हैं, ये अजीव हैं, ये त्रस हैं, ये स्थावर हैं, उसके सब प्राण यावत् सब सत्त्वों के वध का प्रत्याख्यान सुप्रत्याख्यात होता है, दुष्प्रत्याख्यात नहीं होता। इस प्रकार वह सुप्रत्याख्यानी कहता है-मैंने सब प्राण यावत् सब सत्त्वों के वध का प्रत्याख्यान किया है, वह सत्य भाषा बोलता है, मिथ्या भाषा नहीं बोलता। इस प्रकार वह सत्यवादी मनुष्य सब प्राण यावत् सब सत्त्वों के प्रति तीन योग और तीन करण से संयत, विरत, अतीत के पाप कर्म का प्रतिहनन करने वाला, भविष्य के पापकर्म का प्रत्याख्यान करने वाला होता है, वह कायिकी आदि क्रिया से मुक्त, संवृत और एकान्त-पण्डित भी होता है। गौतम ! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है जो पुरुष कहता है-मैंने सब प्राण यावत् सब तत्त्वों के वध का प्रत्याख्यान किया है, उसका वह प्रत्याख्यान स्यात् सुप्रत्याख्यात होता है, स्यात् दुष्प्रत्याख्यात होता है। प्रत्याख्यान-पद २९. भन्ते! प्रत्याख्यान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! प्रत्याख्यान के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-मूल-गुण-प्रत्याख्यान, उत्तर-गुण-प्रत्याख्यान। ३०. भन्ते! मूल-गुण-प्रत्याख्यान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं? गौतम! दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सर्व-मूल-गुण-प्रत्याख्यान, देश-मूल-गुण-प्रत्याख्यान । ३१. भन्ते! सर्व-मूल-गुण-प्रत्याख्यान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं? __ गौतम! पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सर्व-प्राणातिपात-विरमण, सर्व-मृषावाद-विरमण, सर्व
-अदत्तादान-विरमण, सर्व-मैथुन-विरमण, सर्व-परिग्रह-विरमण । ३२. भन्ते! देश-मूल-गुण-प्रत्याख्यान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे स्थूल-प्राणातिपात-विरमण, स्थूल-मृषावाद-विरमण, स्थूल-अदत्तादान-विरमण, स्थूल-मैथुन-विरमण, स्थूल-परिग्रह-विरमण । ३३. भन्ते! उत्तर-गुण-प्रत्याख्यान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! दो प्रकार हैं, जैसे सर्व-उत्तर-गुणप्रत्याख्यान, देश-उत्तर-गुण-प्रत्याख्यान । ३४. भन्ते! सर्व-उत्तर-गुण-प्रत्याख्यान के कितने प्रकार प्रज्ञप्त हैं? गौतम! दस प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेगाथा-अनागत, अतिक्रान्त, कोटि-सहित, नियन्त्रित, साकार, अनाकार, परिमाण-कृत, निरवशेष, संकेत, अध्वा इस प्रकार प्रत्याख्यान दस प्रकार का होता है।
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