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श. ६ : उ. ८ : सू. १५१-१५४
भगवती सूत्र और बादर-पृथ्वीकाय का सूत्र विवक्षित है। रत्नप्रभा आदि पृथ्वियों में बादर-अग्निकाय का सूत्र विवक्षित है। उपरितन कल्पों और कृष्णराजियों में बादर-अप्काय, बादर-तेजस्काय और बादर-वनस्पतिकाय का सूत्र विवक्षित नहीं है। आयुष्क-बन्ध-पद १५१. भन्ते! आयुष्य का बन्ध कितने प्रकार का प्रज्ञप्त है?
गौतम! आयुष्य का बन्ध छह प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-जाति-नाम-निषिक्तायुष्य, गतिनाम-निषिक्तायुष्य, स्थिति-नाम-निषिक्तायुष्य, अवगाहना-नाम-निषिक्तायुष्य, प्रदेश-नाम-निषिक्तायुष्य और अनुभाग-नाम-निषिक्तायुष्य। नरक से लेकर वैमानिक तक सभी दंडकों में छह प्रकार के आयुष्य का बन्ध होता है। १५२. भन्ते! क्या जीव जाति-नाम का निषिक्त (विशिष्ट बंध) किए हुए हैं? गति-नाम
का निषिक्त किए हुए हैं? स्थिति-नाम का निषिक्त किए हुए हैं? अवगाहना-नाम का निषिक्त किए हुए हैं? प्रदेश-नाम का निषिक्त किए हुए हैं? अनुभाग-नाम का निषिक्त किए हुए
गौतम! जीव जाति-नाम का निषिक्त भी किए हुए हैं यावत् अनुभाग-नाम का निषिक्त भी किए हुए हैं। नरक से लेकर वैमानिक तक सभी दण्डकों में छह प्रकार की निषिक्त (विशिष्ट बंध) होता है। १५३. भन्ते! क्या जीव जाति-नाम-निषिक्तायुष्क है? यावत् अनुभाग-नाम-निषिक्तायुष्क हैं?
गौतम! जीव जाति-नाम-निषिक्तायुष्क भी यावत् अनुभाग-नाम-निषिक्तायुष्क भी हैं। नरक से लेकर वैमानिक तक सभी दण्डक जाति-नाम निषिक्तायुष्क यावत् अनुभाग-नाम
-निषिक्तायुष्क हैं। १५४. इसी प्रकार ये बारह दण्डक वक्तव्य हैं
भन्ते! क्या जीव १. जाति-नाम का निषिक्त (विशिष्ट बन्ध) किए हुए हैं? २. जाति-नाम-निषिक्तायुष्क हैं? भन्ते! क्या ३. जाति-नाम-नियुक्त–जाति-नाम के वेदन में नियुक्त हैं? ४. जाति-नाम-नियुक्तायुष्क–जाति-नाम के साथ आयुष्य का वेदन आरम्भ किए हुए हैं? भन्ते! क्या जीव ५. जाति-गोत्र का निषिक्त किए हुए हैं? ६. जाति-गोत्र-निषिक्तायुष्क हैं? भन्ते! क्या जीव ७. जाति-गोत्र-नियुक्त हैं? ८. जाति-गोत्र-नियुक्तायुष्क हैं? भन्ते! क्या जीव ९. जाति-नाम-गोत्र का निषिक्त किए हुए हैं? १०. जाति-नाम-गोत्र-निषिक्तायुष्क हैं? भन्ते! क्या जीव ११. जाति-नाम-गोत्र-नियुक्त हैं? १२. जाति-नाम-गोत्र-नियुक्तायुष्क हैं? यावत् ७२ अनुभाग-नाम-गोत्र-नियुक्तायुष्क हैं? गौतम ! जीव जाति-नाम गोत्र-नियुक्तायुष्क भी हैं यावत् अनुभाग-नाम-गोत्र-नियुक्तायुष्क भी हैं। नरक से लेकर वैमानिक तक सभी दण्डकों में सभी भंग प्राप्त होते हैं।
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