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भगवती सूत्र
श. ६ : उ. ४ : सू. ६३-६९
की भांति वक्तव्य हैं। आहार अपर्याप्ति वाले जीव अनाहारक जीव की भांति वक्तव्य हैं। शरीर - अपर्याप्ति वाले, इन्द्रिय-अपर्याप्ति और आनापान अपर्याप्ति वाले जीवों में जीव तथा एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग होते हैं। नैरयिक, देव और मनुष्यों में छह भंग होते हैं । भाषा- और मन - अपर्याप्ति वाले जीवों के जीव आदि पदों में तीन भंग होते हैं। नैरयिक, देव और मनुष्यों में छह भंग होते हैं ।
संग्रहणी गाथा
सप्रदेश, आहारक, भव्य, संज्ञी, लेश्या, दृष्टि, संयत, कषाय, ज्ञान, योग, उपयोग, वेद, शरीर और पर्याप्ति – उक्त दस सूत्रों (५४-६३) में ये विषय वर्णित हैं ।
प्रत्याख्यानादि-पद
६४. भन्ते ! क्या जीव प्रत्याख्यानी हैं ? अप्रत्याख्यानी हैं? प्रत्याख्यानी अप्रत्याख्यानी हैं ? गौतम ! जीव प्रत्याख्यानी भी हैं, अप्रत्याख्यानी भी हैं और प्रत्याख्यानी अप्रत्याख्यानी भी हैं।
६५. इस प्रकार सब जीवों की पृच्छा ।
गौतम ! नैरयिक- जीव अप्रत्याख्यानी हैं यावत् चतुरिन्द्रिय-जीव अप्रत्याख्यानी हैं। (इनमें शेष दो प्रत्याख्यानी तथा प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यानी प्रतिषेधनीय है ।) पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक प्रत्याख्यानी नहीं है, अप्रत्याख्यानी भी हैं और प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यानी भी हैं। मनुष्य तीनों ही हैं। शेष सभी जीव नैरयिक-जीवों की भांति वक्तव्य हैं।
६६. भन्ते ! क्या जीव प्रत्याख्यान को जानते हैं? अप्रत्याख्यान को जानते हैं? प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यान को जानते हैं?
गौतम ! जो पंचेन्द्रिय जीव हैं, वे तीनों को जानते हैं। अवशेष जीव प्रत्याख्यान को नहीं जानते, अप्रत्याख्यान को नहीं जानते, प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यान को नहीं जानते ।
६७. भन्ते ! क्या जीव प्रत्याख्यान करते हैं? अप्रत्याख्यान करते हैं? प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यान करते हैं ?
प्रत्याख्यान करने का औधिक सूत्र (६४, ६५ ) की भांति वक्तव्य है ।
६८. भन्ते! क्या जीव प्रत्याख्यान से बद्ध आयुष्य वाले हैं ? अप्रत्याख्यान से बद्ध आयुष्य वाले हैं ? प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यान से बद्ध आयुष्य वाले हैं ?
गौतम ! जीव और वैमानिक देव प्रत्याख्यान से बद्ध आयुष्य वाले हैं, अप्रत्याख्यान से बद्ध आयुष्य वाले हैं और प्रत्याख्यानाप्रत्याख्यान से बद्ध आयुष्य वाले भी हैं। अवशेष जीव अप्रत्याख्यान से बद्ध आयुष्य वाले हैं।
संग्रहणी गाथा
१. प्रत्याख्यानी २. प्रत्याख्यान को जानना। ३. प्रत्याख्यान करना और ४. तीनों से आयुष्य का निबन्ध - इस प्रकार सप्रदेश के उद्देशक में ये चार दण्डक और प्रतिपादित हैं ।
६९. भन्ते ! वह ऐसा ही है । भन्ते ! वह ऐसा ही है।
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