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( XXIII) भगवती भाष्य का आगे का काय पूर्ण करना है।' तदनुसार पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से मैं इस कार्य में संलग्न हूं। इस बीच भगवती के हिन्दी अनुवाद के प्रस्तुत संस्करण का कार्य संपन्न हुआ है। __ आचार्यश्री महाश्रमणजी आगम-कार्य में बहुत वर्षों से संलग्न रहे हैं। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के अन्तिम वर्षों में जो आगम-कार्य-विषयक संगोष्ठियां हुई थी, उनमें आगमकार्य का विशिष्ट दायित्व युवाचार्यश्री महाश्रमणजी (आचार्यश्री महाश्रमणजी) को दिया गया था। आगम-कार्य में उनकी सक्रिय संभागिता का उल्लेख पूर्व आचार्य-द्वय द्वारा आगमप्रकाशन में उल्लिखित 'अन्तस्तोष', सम्पादकीय और भूमिका में तथा प्रकाशक द्वारा लिखित प्रकाशकीय में किया गया है। आगम-कार्य में आचार्यश्री महाश्रमणजी का योगदान १. भगवई (विआहपण्णत्ती) (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, भाष्य आदि सहित)
खण्ड-१-सहयोगी भाष्य-लेखन, सम्पादन खण्ड-२–सहयोगी, श्रुतलेखन एवं सम्पादन . खण्ड-३ खण्ड-४ संस्कृत छाया के निरीक्षण का दायित्व।
खण्ड -५) २. आचारांगभाष्यम् (मूलपाठ, संस्कृत छाया, संस्कृत भाष्य, हिन्दी अनुवाद सहित)
भाष्य-सहयोगी ३. अणुओगदाराइं (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण सहित)
___ संस्कृत छाया के निरीक्षण का दायित्व। ४. जैन पारिभाषिक शब्द कोश
मुख्य सम्पादक वर्तमान में चालू कार्य
१. वर्गीकृत आगम-आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के सानिध्य में कार्यारम्भ। आचार्यश्री ___महाश्रमणजी द्वारा वर्गीकरण का निदेशन कार्य चालू है। २. अंतगडदसाओ (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण आदि सहित)
प्रधान सम्पादक ३. कप्पो (मूलपाठ, संस्कृत छाया, हिन्दी अनुवाद, टिप्पण आदि सहित)
आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा आरब्ध . प्रधान सम्पादक–आचार्यश्री महाप्रज्ञ क साथ