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भगवती सूत्र
श. १ : उ. १० : सू. ४४६-४४८
उपपात-पद ४४६. भन्ते! नरक गति कितने समय तक उपपात से विरहित प्रज्ञप्त है?
गौतम! जधन्यतः एक समय, उत्कर्षतः बारह मुहूर्त। ४४७. इस प्रकार अवक्रान्ति-पद (पण्णवणा, पद ६) अविकल रूप से वक्तव्य है। ४४८. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। इस प्रकार भगवान् गौतम यावत् संयम
और तप से अपने आप को भावित करते हुए विहरण कर रहे हैं।