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( XI ) कार्यारम्भ आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की विद्यमानता में ही हो गया था, पर उसका समापन अब आचार्यश्री महाश्रमणजी के निदेशन में हुआ है।
प्रस्तुत सम्पादकीय के सम्पादन कार्य का श्रेय तेरापंथ धर्मसंघ की बहुश्रुत परिषद् के सम्माननीय सदस्य आगम-मनीषी प्रो. मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी को है । इनके सहयोगी के रूप में इस संस्करण को तैयार करने में शासनगौरव मुनिश्री धनंजयकुमारजी, मुनिश्री अजितकुमारजी, मुनिश्री दिनेशकुमारजी तथा मुनिश्री योगेशकुमारजी का श्रम भी मुखर हो रहा है । एतदर्थ हम इनके चिरऋणी रहेंगे।
प्रस्तुत ग्रन्थ के कम्प्यूटरीकरण में श्री प्रमोद कुमार कुर्मी की निष्ठा, लगन एवं दक्षता उल्लेखनीय है ।
आशा है केवल हिन्दी अनुवाद वाला यह संस्करण व्यापक रूप में सर्व साधारण जन के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकेगा। इसको तैयार करने में जिनका भी श्रम लगा है, उन सबके प्रति हम हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
ताराचंद रामपुरिया अध्यक्ष, जैन विश्व भारती, लाडनूं