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________________ नव पदार्थ २५. सूर्य और चन्द्रमा आदि की गति से समय निरन्तर जलप्रवाह की तरह उत्पन्न होता रहता है। इस उत्पत्ति की दृष्टि से काल शाश्वत है। समय आदि सर्व अद्धा काल की यही बात है। २६. एक समय उत्पन्न होकर विनाश को प्राप्त होता है कि दूसरा समय उत्पन्न हो जाता है, दूसरे का विनाश होता है कि तीसरा उत्पन्न हो जाता है। इस तरह समय एक के पीछे एक अनुक्रम से उत्पन्न होते जाते हैं। २७. काल अढाई द्वीप में वर्तन करता है। उसके बाहर काल नहीं है। अढ़ाई द्वीप के बाहर के ज्योतिषी एक जगह स्थिर रहते हैं। २८. दो आदि समय एकत्रित नहीं होते। इसलिए जिन भगवान ने काल के स्कन्ध नहीं कहा है। स्कंध बहुतों के समुदाय से होता है। समुदाय के बिना स्कंध नहीं होता। २९. अतीत काल में अनन्त समय हुए हैं। वे तो उपजे और विनष्ट हो गए। वे कभी एक साथ इकट्ठे नहीं हुए, फिर उनका स्कंध कैसे हो? ३०. आगामी काल में भी अनन्त समय होंगे। वे भी एक साथ इकट्ठे नहीं होंगे। वे तो उत्पन्न होंगे और विलीन हो जाएंगे। इसलिए उनका स्कन्ध कैसे हो? ३१. काल का वर्तमान समय एक होता है और एक समय का स्कंध नहीं होता। और वह भी उत्पन्न होकर विलय को प्राप्त हो जाता है। काल का कोई स्थिर द्रव्य नहीं होता। ३२. स्कंध बिना काल के देश नहीं होता। स्कंध और देश के बिना प्रदेश नहीं होता। स्कंध से प्रदेश अलग नहीं होता। इसलिए काल के परमाणु भी नहीं होता। ३३. इसलिए काल के स्कंध नहीं कहा है और न देश और प्रदेश कहे हैं। स्कंध से छूटकर अलग हुए बिना उसको परमाणु कौन कहेगा?
SR No.032415
Book TitleAcharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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