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________________ अनुकम्पा री चौपई २६३ ५९. उन्हें इन प्रश्नों का उत्तर नहीं आता। चर्चा करते समय जगह-जगह अटकते हैं। तो भी निर्णय नहीं करते। जीव रक्षा का नाम लेकर बकवास करते हैं। ६०. जीव अनादि काल से जी रहा है। जो मरता है वह उसकी पर्याय (अवस्था) बदलती है। संवर एवं निर्जरा की बात तो अलग है। वे तो आत्मा को मोक्ष ले जाने वाले हैं। ६१. पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति और त्रसकाय इन छह प्रकार के जीवों को मूल्य पर खरीद कर बचाने में यदि धर्म है तो सभी प्रकार से बचाने में धर्म होगा। ६२. केवल त्रसकाय बचाने में धर्म कहते हैं। शेष पांच काय को बचाने में निःसंकोच नहीं कहते। उन्होंने लोगों को भ्रम में डाला है और उनके मिथ्यात्व का डंक मारा है। ६३. तीन करण एवं तीन योग से छह काया के जीवों की हिंसा नहीं करनी चाहिए, यह भगवान का वचन है। मोल लेकर जीवों को बचाने में जो मोक्ष धर्म कहते हैं, वह कुगुरूओं की कुबुद्धि का मायाजाल है। ६४. देव, गुरू और धर्म इन तीन रत्नों को सूत्र में भगवान ने अमूल्य कहा है। ये तीनों मोल से निष्पन्न नहीं होते। अन्तर की आंखें खोलकर सच्ची श्रद्धा प्राप्त करनी चाहिए। ६५. मोक्ष जाने के चार मार्ग है- 'ज्ञान, दर्शन, चरित्र और तप। इन चारों को विविध प्रकार से पहचान कर स्वीकार करे। शुद्ध प्रकार से पालन करने वाला इस भव-सागर से पार उतर जाता है।
SR No.032415
Book TitleAcharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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