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________________ अनुकम्पा चौप २२७ १३. यदि मक्खों को इधर-उधर कर दिया जाए तो छोटी मक्खियां उड़कर भाग जाएगी। साधु के लिए सब प्राणी समान हैं, वे किसी के बीच में नहीं पड़ते । १४. बिल्ली को ललकार कर चूहे बचालें । मक्खों को ढकेल कर मक्खियों को बचालें, परन्तु अन्य मरते जीवों को देख कर नहीं बचाए। उन जीवों का क्या अपराध है, यह बताया जाए ? | १५. साधु छकाय के रक्षक कहलाते हैं और रक्षा करते हैं केवल त्रसकाय की। यदि वे पांच काय के जीवों को नहीं बचाते हैं तो छहकाय के रक्षक कैसे हुए? | १६. साधु रजोहरण (ओघा) हाथ में लेकर खड़ा हुआ और जबरदस्ती से किसी प्राणी को छुड़वा दिया। उनके ज्ञान, दर्शन और चारित्र में से किसकी वृद्धि हुई, यह मुझे बताए ? | १७. ज्ञान, दर्शन, चारित्र के बिना कोई मुक्ति का साधन नहीं है । छोड़ना और रखना यह सांसारिक उपकार है। उससे शुभगति कैसे हो सकती है ? । १८. जितने सांसारिक उपकार हैं, वे सभी सावद्य हैं। वे उपकार जिनेश्वर देव के धर्म में नहीं आते। झूठी तान मत करो । १९. किसी अज्ञानी को ज्ञानी किया जाता है तो निश्चित ही उसका उद्धार होता है । मिथ्यात्वी से किसी को सम्यक्त्वी बनाया जाता है तो वह उसे भव सागर से पार करता है। २०. असंयती को संयती कर दिया तो वह मोक्ष का दलाल हो जाता है। किसी को तपस्वी बना कर भव पार पहुंचा दिया तो उसने सारी बुरी दशा को ही मिटा दिया। २१. ज्ञान, दर्शन चारित्र और तप - इन चारों से संबंधित कोई उपकार करता है, वह स्वयं तरता है और दूसरे का उद्धार करता है। दोनों का उद्धार हो जाता है। २२. ये चार प्रकार के उपकार महान हैं। इनमें निश्चित ही धर्म समझो। शेष रहे हुए सारे कार्य सांसारिक हैं। जिनके करने से कर्म बन्ध होता है।
SR No.032415
Book TitleAcharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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